केंद्र सरकार के इस संबंध में जारी आदेश से खलबली मच गई है। इस सम्बंध में आयुध निर्माणी बोर्ड की अपेक्स लेवल मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक 23 को दिल्ली में शुरु हुई। यह बैठक दो दिन तक चलेगी। इसमें रीडिप्लॉयमेंट कमेटी के चेयरमैन और सदस्यों को बुलाकर अतिरिक्त स्टाफ की जानकारी दी जाएगी। इस आधार पर उन्हें देश की अन्य निर्माणियों में स्थानांतरित किया जा सकेगा।
निर्माणियों में बनने वाले जॉब की लागत में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष खर्च जुड़ा होता है। नॉन कोर ग्रुप में शामिल होने के बाद वीकल फैक्ट्री में अप्रत्यक्ष खर्च बढऩे लगा है। फैक्ट्री के पास इस समय केवल माइन प्रोटेक्टिड वीकल (एमपीवी) का काम है। स्टालियन और एलपीटी वाहनों की टीओटी अप्रैल 2019 में समाप्त होगी। ऐसे में एमपीवी में लगभग 750 कर्मचारी की ही जरूरत होगी।
जून की बैठक में हुआ था तय– अपेक्स लेवल मॉनिटरिंग कमेटी की जून में हुई बैठक में रीडिप्लॉयमेंट कमेटी से कुछ तथ्य मांगे गए थे। बोर्ड के पत्र के मुताबिक इसमें ओइएफ डिवीजन और वीकल फैक्ट्री में राजपत्रित अधिकारी, कनिष्ठ कार्यप्रबंधक, कार्यवेक्षक से लेकर औद्योगिक कर्मचारियों की संख्या से जुड़ी तमाम जानकारी लेने के लिए कहा गया था। फाइनल रिपोर्ट बैठक में लाने के लिए कहा गया है।
वीएफजे में कर्मियों की जरूरत पर चर्चा
रक्षा मंत्रालय में अपेक्स लेवल मॉनिटरिंग मीटिंग में वीकल फैक्ट्री और ओइएफ ग्रुप की आयुध निर्माणियों में मैन पावर को लेकर चर्चा शुरू हुई। बैठक में अपनी-अपनी निर्माणियों में वर्कलोड की जरूरत के हिसाब से कितने कर्मचारियों की जरूरत है, उस पर विस्तृत जानकारी दी गई। अतिरिक्त कर्मचारियों को किन आयुध निर्माणियों में भेजा जा सकता है। दो दिन तक चलने वाली बैठक में गहन विचार-विमर्श के बाद इसकी रिपोर्ट मंत्रालय को दी जाएगी।
वीकल फैक्ट्री और ओइएफ ग्रुप की कुछ निर्माणियों को नॉनकोर ग्रुप में शामिल किया गया है। सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में 12 जून को हुई 41वीं अपेक्स लेवल मॉनिटरिंग एंड रिव्यू मीटिंग में री-डिप्लॉयमेंट कमेटी को इस सम्बंध में पूरी जानकारी एकत्रित कर 23 और 24 जुलाई को हो रही बैठक में फाइनल रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे।