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विभागीय खीचतान में उलझा आईटी पार्क,रोजगार के अवसरों में देरी

locationजबलपुरPublished: Jan 28, 2019 12:30:02 am

Submitted by:

Manish garg

समतलीकरण का काम पूरा नहीं, एमपीएसइडीसी ने नया आवंटन रोका, बिल्डिंग निर्माण पर जोर

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जबलपुर. बरगी हिल्स आईटी पार्क एवं इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर का विकास सरकारी विभागों की आपसी खीचतान में उलझा हुआ है। यहां एक काम की अनुमति मिल रही है तो दूसरे काम के लिए सरकारी विभागो के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। औद्योगिक इकाईयों को नक्शे के लिए नगर निगम के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं तो मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कारपोरेशन (एमपीएसइडीसी) ने भी यहां से ध्यान खीच लिया है। इस प्रोजेक्ट का 20 एकड़ क्षेत्र में विकास रोक दिया गया है और नई इकाइयों के लिए भूमि आवंटन रोक दिया गया है। उधर खीचतान के बीच निवेशकों ने यहां से अपने प्रस्तावित प्रोजेक्ट भी बंद करने आवेदन दे दिए हैं।

रोजगार की ज्यादा संभावनाओं वाले आईटी पार्क की लगातार अनदेखी हो रही है। 2014 से यह प्रोजेक्ट चल रहा है। यहां सड़क, बिजली और पानी की सुविधा तो दे दी गई हैं, लेकिन जहां उद्योग लगने है वहां भूमि पहाड़ों के बीच खाई है। इसे समतल करने में ठेका कंपनी को पसीना छूट रहा है। ठेका एजेंसी और एमपीआरडीसी के बीच तकरार है। ऐसे में इकाईधारी भी असमंजस में हैं।

पांच निवेशक पीछे हटे- आईटी पार्क में फेस टू यानि दूसरी तरफ विकास का काम रोके जाने के कारण निवेशक हतोत्साहित हैं। सूत्रों ने बताया कि चार से पांच निवेशकों ने एमपीएसइडीसी को आवेदन भेजकर आवंटन रद्द करने के अलापा पैसा वापिसी का आवेदन भी किया है। एमपीएसइडीसी का तर्क है कि अभी फेस वन में जिन्होंने जमीन ली है, वहां पर काम शुरू नहीं हो रहा है। इस स्थिति में दूसरा प्रोजेक्ट सफल नहीं हो रहे।

गधेरी प्रोजेक्ट – डुमना एयरपोर्ट के पास भी करीब 20 एकड़ भूमि आइटी पार्क के लिए चिन्हित है। एमपीएसइडीसी ने इस जमीन के चारों तरफ बाउंड्रीवॉल बनाकर सुरक्षित तो कर दिया है, लेकिन जमीन का आवंटन अब तक शुरू नहीं किया। सूत्रों ने बताया कि यहां पर आधुनिक हेलमेट का निर्माण करने वाली एक कंपनी ने तीन एकड़ जमीन के लिए आवेदन दिया है। लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। यहां पर इतनी ही जमीन साफ्टवेयर टेक्नालॉजी पार्क आफ इंडिया के प्रोजेक्ट के लिए चाहिए है।

यह चाहते हैं निवेशक
-औद्योगिक भवनों क निर्माण के नक्शों नगर निगम की जगह एमपीएसइडीसी स्वीकृत करे।
– फेस-टू का विकास कार्य फिर से चालू कराया जाए। आवंटित प्लॉटों के निरस्तीकरण रुके।
– आईटी पार्क में स्थापित होने वाले उद्योगों से नगर निगम सम्पत्ति कर की वसूली नहीं करे।
– आवंटित प्लॉट उबड़-खाबड़ होने की वजह से उनके समतलीकरण का कार्य तेज हो।
– मुख्य मार्ग की चौड़ाई बहुत कम है। इसका शीघ्रता से चौड़ीकरण कराया जाना चाहिए।

जिन निवेशकों ने भूमि ली है उनमें से ज्यादातर ने काम शुरू नहीं किया है। इसलिए फेस-टू का विकास कार्य रोका गया है। जिन्हें यहां जमीन आवंटित की थी, उन्हें फेस-1 में शिफ्ट किया जा रहा है। यह भी देखा गया है कि यहां औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की जगह निर्मित इमारत में काम करने में ज्यादा रुचि है। इसलिए बिल्डअप एरिया बढ़ा रहे हैं।

तन्वी सुंद्रियाल, एमडी एमपीएसइडीसी

बड़े उत्साह के साथ यहां पर निवेश की योजना बनाई थी। लेकिन कई चीजें हैं जो हतोत्साहित कर रही हैं। नगर निगम से नक्शा आसानी से पास नहीं होते। अब अनाप-शनाप संपत्ति कर लिया जा रहा है। ऊपर से समतलीकरण का काम धीमा है। ऐसे में काम करना मुश्किल हो रहा है। इन कामों की मॉनिटरिंग होनी चाहिए।
विशाल जेसवानी, उद्यमी आईटी पार्क

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