script320 रुपए में घर पहुंच रही ‘जुगाड़ की रोशनी’ | 'Jugaad Ke Roshni' reaching home in 320 rupees | Patrika News

320 रुपए में घर पहुंच रही ‘जुगाड़ की रोशनी’

locationजबलपुरPublished: Feb 21, 2019 08:37:02 pm

Submitted by:

manoj Verma

सस्ती बिजली मिलने के बावजूद नहीं थमी चोरी, आर्मड केबल को पंचर कर फंसा देते हैं वायर, रानीताल-घमापुर क्षेत्रों में बिजली विभाग की कार्रवाई बेअसर

320 रुपए में घर पहुंच रही 'जुगाड़ की रोशनी'

electric

जबलपुर। बिजली की चोरी थम नहीं रही है। बिजली विभाग के सारे दावे फेल हो चुके हैं। अब भी बस्तियों में खुलेआम लग्घी (कांटी) फंसाकर घरों को रोशन किया जा रहा है। बिजली चोरी करने वालों का यह कारनामा एक जगह का नहीं है बल्कि शहर की उन बस्तियों के हैं, जहां नजूल की जगह पर आशियाने बनाए गए हैं। इन जगहों से गुजरने वाली बिजली तारों में लग्घी फंसाकर बिजली घरों तक दौड़ा दी गई है। यह चोरी सिर्फ तारों तक सीमित नहीं है बल्कि अत्याधुनिक आर्मड केबल से भी की जा रही है।
मात्र 320 रुपए खर्च करके घरों तक बिजली पहुंचाने वालों की कमी नहीं है। शहर के भीतर ही खुलेआम आर्मड केबल से बिजली चोरी की जा रही है। इस चोरी में मात्र एक एल्यूमीनियम तार के सहारे घरों तक बिजली पहुंचाई जा रही है। अर्थिंग के लिए घर के समीप ही गड्ढा खोद लिया जा रहा है। घर में मात्र एक बोर्ड के सहारे बिजली का राउंड दी .लॉक इस्तेमाल किया जा रहा है। यह चोरी रानीताल, घमापुर, भानतलैया आदि क्षेत्रों में की जा रही है।
एेसे की जाती है बिजली चोरी
बिजली तार के मेन में एल्यूमीनियम का तार फंसाया जाता है। इसे घर के अंदर मेन लाइन से जोड़ा जाता है। यहां अर्थिंग के लिए गड्ढा खोदकर इसमें लोहे या पीतल की ह्रश्वलेट
डाली जाती है। इसका कने.शन बिजली बोर्ड से किया जाता है। इन दोनों के कने.शन होते ही घरों के अन्य इले.िट्रक सामान से कने.शन कर दिया जाता है और पल भर में घर रोशन किया जाता है।
जुगाड़ से करंट का खतरा
जानकारों का कहना है कि लग्घी फंसाकर बिजली का इस्तेमाल करने से करंट का खतरा रहता है। दरअसल, बिजली की फ्रि.वेंसी में आने वाले उतार चढ़ाव से कई बार तार फ्यूज हो जाते हैं। इन तारों के कच्ची दीवार से सटे होने की वजह से घर में करंट फैलने का भय रहता है। कई एेसे मामले हैं जहां, तीव्र करंट की वजह से घर के बल्ब, ट्यूबलाइट खराब हो गई।
320 का गणित
इन क्षेत्रों में लोगों से जब ए.सपोज टीम ने जानकारी ली तो पहले बताने से मना कर दिया, जब उन्हें विश्वास में लेकर पूछने की कोशिश की तो उनका कहना था कि लग्घी फंसाने में ज्यादा से ज्यादा 320 रुपए खर्च होते हैं। इसमें 80 रुपए का वायर आता है। 100 रुपए कांटी फंसाने वाला ले लेता है और उसके अलावा अर्थिंग बनाने और घर में बोर्ड तैयार करने में 140 रुपए खर्च हो जाते हैं।
ऑफ दी रेकार्ड
जानकारों का कहना है कि विवाद के डर से बिजली विभाग का उडऩदस्ता इन जगहों पर नहीं पहुंचता है। रानीताल, भानतलैया में एक-दो बार छापे के दौरान लोग एकत्र हो गए थे और उडऩदस्ते के साथ जमकर विवाद हुआ था, जिसके बाद से उडऩदस्ता इन क्षेत्रों में जाता ही नहीं है।
लोगों से बातचीत का अंश
अरे, भाई ये लग्घी कैसे तैयार करते हो?
आप कौन।
हमें अपने खेत में बनाना है जुगाड़?
कोई बिजली वाले को पकड़ लो, वो तैयार कर देगा।
तुम तो बता सकते हो?
कुछ नहीं, तीन-चार सौ रुपए में बन जाता है जुगाड़।
इसमें खतरा नहीं है?
बिजली तार छुओगे तो करंट लगेगा ही।
लेकिन यह तो मेन लाइन से फंसाया है?
तो क्या हो गया, हम तो कितने सालों से एेसे ही चला रहे हैं।
तो कोई पकड़ता नहीं है?
अरे, बिजली वाले आते हैं तो क्या…ज्यादा से ज्यादा तार जब्त करके ले जाते हैं। घर में तो ताला लगा रहता है।
शासन तो सस्ती बिजली दे रही है। इसके बाद भी लग्घी फंसाया जाना आश्चर्यजनक है। इस मामले में टीम भेजकर जांच करवाई जाएगी। बिजली चोरी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
आईके त्रिपाठी, एसई (सिटी)
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो