हक पर था आघात
डॉ. नाजपांडे ने बताया कि जबलपुर के मुख्यपीठ न रहने से मुख्य न्यायाधीश के जबलपुर में ही पदस्थ रहने की अनिवार्यता समाप्त हो गई थी। साथ ही इंदौर व ग्वालियर बेंच में दायर जनहित याचिकाओं को मुख्यपीठ जबलपुर बुलवाकर संयुक्त रूप से सुनवाई की व्यवस्था भी समाप्त हो गई थी। इससे जबलपुर का भारी नुकसान हुआ। एक तरह से जबलपुर की न्यायिक हैसियत इंदौर व ग्वालियर के समकक्ष हो गई थी। यह जबलपुर की अस्मिता पर चोट थी। हाईकोर्ट में मजबूती से पक्ष रखा गया तो उक्त नोटिफिकेशन पर रोक लगी। यह जबलपुर की बड़ी जीत है।