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आखिरकार जबलपुर के साथ न्याय हुआ

locationजबलपुरPublished: Jan 15, 2022 09:36:22 pm

Submitted by:

shyam bihari

हाईकोर्ट ने जबलपुर खंडपीठ प्रिंसिपल सीट शब्द हटाने पर लगाई रोक, नोटिफिकेशन स्थगित
 

highcourt

final hearing

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने जबलपुर खंडपीठ के साथ लगा प्रिंसिपल सीट शब्द विलोपित करने के नोटिफिकेशन को स्थगित कर दिया है। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस पीके कौरव की डिवीजन बेंच ने यह निर्देश दिए। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच जबलपुर के अध्यक्ष डा. पीजी नाजपांडे व नयागांव निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव की ओर से याचिका दायर की गई। अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि राष्ट्रपति ने 27 अक्टूबर, 1956 को आदेश जारी कर जबलपुर में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्यपीठ की घोषणा की थी। राष्ट्रपति के इस आदेश को रद्द करने का अधिकार मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को नहीं है। इसके बावजूद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने हाईकोर्ट नियम-2008 में किए गए संशोधन का हवाला देते हुए आठ अक्टूबर 2021 को मध्य प्रदेश राजपत्र मेें अधिसूचना जारी कर दी। इसके अनुसार जबलपुर के आगे से मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की मुख्यपीठ शब्द को विलोपित कर दिया गया। चूंकि यह अधिसूचना भारत के संविधान के विपरीत है, असंवैधानिक है, अत: निरस्त किए जाने योग्य है। याचिका दायर करने से पूर्व रजिस्ट्रार जनरल को लीगल नोटिस भेजा गया था। लेकिन कोई ठोस कार्रवाई न होने के चलते याचिका दायर की गई।

हक पर था आघात
डॉ. नाजपांडे ने बताया कि जबलपुर के मुख्यपीठ न रहने से मुख्य न्यायाधीश के जबलपुर में ही पदस्थ रहने की अनिवार्यता समाप्त हो गई थी। साथ ही इंदौर व ग्वालियर बेंच में दायर जनहित याचिकाओं को मुख्यपीठ जबलपुर बुलवाकर संयुक्त रूप से सुनवाई की व्यवस्था भी समाप्त हो गई थी। इससे जबलपुर का भारी नुकसान हुआ। एक तरह से जबलपुर की न्यायिक हैसियत इंदौर व ग्वालियर के समकक्ष हो गई थी। यह जबलपुर की अस्मिता पर चोट थी। हाईकोर्ट में मजबूती से पक्ष रखा गया तो उक्त नोटिफिकेशन पर रोक लगी। यह जबलपुर की बड़ी जीत है।

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