जबलपुर

कमलनाथ ने छिंदवाड़ा के लिए कर दिए दो टुकड़े, भाजपा ने बताया साजिश

रुतबा घटा, अधिसूचना जारी

जबलपुरJun 19, 2019 / 12:30 pm

Lalit kostha

कमलनाथ

जबलपुर। वीरांगना रानी दुर्गावती के नाम से प्रदेश में अपनी अलग पहचान बनाने वाले रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के प्रदेश सरकार ने टुकड़े कर दिए हैं। छिंदवाड़ा में सतपुड़ा यूनिवर्सिटी बनाने के लिए रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से जुड़े तीन जिलों के कॉलेजों को अलग कर दिया गया। विश्वविद्यालय से जुड़े सिवनी, बालाघाट और छिंदवाड़ा जिले को नई छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी में समाहित करने का फरमान जारी कर दिया गया। मंगलवार को मप्र विश्वविद्यालय संशोधन अध्यादेश 2019 को जारी कर दिया गया। राज्यपाल के नाम से अवर सचिव आरपी गुप्ता द्वारा विश्वविद्यालय के विखंडन की यह अधिसूचना जारी की गई।

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छिंदवाड़ा में बनेगी नई सतपुड़ा यूनिवर्सिटी, अधिसूचना जारी
रादुविवि का रुतबा घटा, कम हुए तीन जिलों के 88 कॉलेज

जबलपुर के शिक्षाविद का कहना है कि जबलपुर के हितों के साथ लगातार कुठाराघात किया जा रहा है। जल्द ही विश्वविद्यालय की अन्य परिसंपत्तियों का भी बंटवारा कर दिया जाएगा। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के अधीन अब सिर्फ 5 जिले रह गए हैं। इनमें जबलपुर, मंडला, कटनी, डिंडौरी और नरसिंहपुर जिला शामिल है। विवि से जुड़े 3 जिलों छिंदवाड़ा, सिवनी और बालाघाट को हटा दिया गया है। ये जिले विश्वविद्यालय की आय का प्रमुख स्त्रोत थे।

 

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घट जाएगा आय का स्त्रोत
रादुविवि के अंतर्गत अब 5 जिलों के तहत 156 कॉलेज बचे हैं। विश्वविद्यालय में पदस्थ प्राध्यापकों के वेतन का खर्च छात्रों से होने वाली आय से ही होता था। विवि के टूटने से सीधे-सीधे 75 हजार छात्र कम हो गए हैं।

कुलपति चयन के लिए प्रक्रिया शुरू
रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी में नए कुलपति की खोज राजभवन से शुरू कर दी है। मौजूद कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र का कार्यकाल अभी पूरा नहीं हुआ है, लेकिन इस साल अंत तक उनके चार साल पूरा हो जाएगा। बताया जाता है कार्यकाल पूरे होने के छह माह पहले ही राजभवन नए कुलपति की नियुक्तिप्रक्रिया शुरू कर देता है। राजभवन ने 18 जुलाई तक दावेदारों से आवेदन मांगा गया है। कुलपति के लिए रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी से भी दर्जनों दावेदारी कर रहे हैं। पिछले बार भी कई बायोडाटा राजभवन पहुंचे थे, लेकिन वो दौड़ से बाहर हो गए। इस बार फिर बायोडाटा तैयार होने लगे हैं। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद राजनीतिक समीकरण भी बदले हुए है। हालांकि, राजभवन पूरी तरह स्वतंत्र रूप से नियुक्ति की प्रक्रिया करता है। इसमें किसी का कोई दखल नहीं होता है। कुलपति के लिए 10 साल का शैक्षणिक अनुभव होना अनिवार्य है। इसके अलावा किसी प्रतिष्ठित अनुसंधान एवं अकादमिक संस्थागत प्रशासनिक संस्थान में समकक्ष स्थिति में दस वर्ष का अनुभव मांगा गया है।

 

Kamal Nath government break RDVV jabalpur

पाटन विधायक अजय विश्नोई ने कहा कि मुख्यमंत्री का पूरा ध्यान छिंदवाड़ा पर है। चुनाव के दौरान भी यह बात सामने आई थी। अब छिंदवाड़ा को नवाजने के लिए रादुविवि के विखंडन पर मोहर लगा दी। हमने मेडिकल यूनिवर्सिटी को शहर से बाहर जाने नहीं दिया। जबलपुर से उनकी कैबिनेट में जनप्रतिनिधित्व करने वालों की आवाज मुख्यमंत्री के सामने नहीं उठती है। यही वजह है कि शहर के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है।

कुलपति रादुविवि प्रो. कपिलदेव मिश्र के अनुसार यह शासन का निर्णय है। इससे छात्रों का फायदा होगा। यह जरूर है कि इससे विश्वविद्यालय को आर्थिक रूप से नुकसान होगा। इसके लिए सम्भावनाएं तलाशेंगे। छात्रों को जोडऩे के लिए शिक्षा के स्तर में सुधार पर बल दिया जाएगा।

वित्तमंत्री तरुण भनोत बोले कि सभी जिलों में तरक्की होनी चाहिए। विखंडन से ज्यादा शिक्षण गुणवत्ता बढऩी चाहिए। पढ़ाई का स्तर कैसे सुधरे इस पर ध्यान दिया जाए। नए कोर्स, पाठयक्रमों को लाया जाए। सरकार ने तीन महाविद्यालय जिले में खोलने का निर्णय लिया है।

पनागर विधायक इंदु तिवारी ने कहा कि कांग्रेस सरकार जब भी आई उसने विखंडन की नींव रखी। अभी विवि का विखंड हुआ है जल्द ही हाइकोर्ट की बारी आएगी। यह शहर के हितों के खिलाफ है। शहर की जनता को लेकर हम आंदोलन शुरू करेंगे।

केंट विधायक अशोक रोहाणी का कहना है कि सबसे पुराने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय को तोडकऱ विश्वविद्यालय का ओहदा कम किया गया है। शहर हितों के साथ लगातार कुठाराघात किया जा रहा है। इसका हम सख्त विरोध करेंगे।

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