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कनाड़ी नदी को मिलेगा नया जल जीवन

locationजबलपुरPublished: Jun 04, 2019 12:23:56 pm

Submitted by:

gyani rajak

जलस्तर बढ़ाने बनी योजना, वर्षभर रहेगा पानी, सिहोरा और मझौली के बीच 65 किमी लंबी है नदी
 

river

abalpur knowledgeable ruler Kanadi river flowing in the district of Sihora and Mayshali will get a new life. About 98 gram panchayats are attached to this river.

जबलपुर@ ज्ञानी रजक. जिले के सिहोरा और मझौली क्षेत्र में प्रवाहित कनाड़ी नदी को पुर्नजीवन मिलेगा। इस नदी से करीब 98 ग्राम पंचायतें जुड़ी हैं। विभिन्न वैज्ञानिक पद्धतियों के जरिए नदी का जलस्तर बढ़ाने के उपाए शुरू हो गए हैं। नदी में 12 महीने पानी रहे यही इस योजना का मकसद है। जिला पंचायत ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। 63 किमी लंबी इस नदी के 26 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल वाले कैचमेंट एरिया में वर्षा जल के संरक्षण के लिए अधोसंरचनाएं तैयार की जा रही हैं।
शासन की इस योजना में प्रदेश के 24 जिले शामिल किए गए हैं। इसमें जबलपुर भी शामिल है। जिले की बांकी नदियों की स्थिति तो ठीक है, लेकिन कनाड़ी नदी अब पूर्व रूप में नहीं है। इसमें दिसम्बर माह में ही पानी सूख जाता है। जबकि पहले इसमें पूरे समय जल प्रवाहित होता था। इससे यहां का पारिस्थितिक तंत्र भी बिगड़ रहा है। इसका बड़ा कारण बड़ी संख्या में खेती के लिए नदी के पानी का इस्तेमाल और ट्यूबवेल की संख्या बढऩा है। इससे क्षेत्र में पानी की कमी भी हो जाती है। गर्मियों में हैंडपंप से पानी निकलना बंद हो जाता है। वहीं कुओं में भी पानी नहीं रहता।

यह किए जा रहे उपाए
गुरजी, सिलौड़ी, दर्शनी, दिनाई, खमरिया एवं खुड़ावल की पहाडिय़ां नदी के उद्गम स्थल हैं। जलस्तर को बढ़ाने के लिए नदी के कैचमेंट एरिया में बरसात का पानी रोकने के उपाए किए जा रहे हैं। इसमें मनरेगा और वाटरशेड की टीम को तैनात किया गया है। इंजीनियरों ने पूरे कैचमेंट एरिया का निरीक्षण किया फिर उसी आधार पर कन्टूर ट्रेंच, बोल्डर बधान, गली प्लग, तालाब, खेत तालाब, चैक डैम और स्टाप डैम सहित अन्य सरंचनाएं बनाई जा रही हैं।

फैक्ट फाइल
– सिहोरा और मझौली जनपद के बीच प्रवाह।
– 63 किमी है लंबा है कनाड़ी नदी का क्षेत्र।
– 26.2 हेक्टेयर है नदी का कैचमेंट क्षेत्रफल।
– 38 ग्राम पंचायत 60 गांव हैं नदी की जद में।
– 29 माइक्रो वाटर शेड बनेंगे जलस्तर बढ़ाने।
– 18 करोड़ रुपए से ज्यादा कामों की लागत।
– 4 से पांच साल की बनाई गई कार्ययोजना।

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नदी का जलस्तर बढ़ाने के लिए कार्ययोजना शुरू की गई है। इसमें बरसात के जल को रोकने के लिए संरचनाएं बनाई जा रही हैं। इसी आधार पर इसकी डीपीआर भी तैयार होगी।

राजकुमार पटेल, जिला तकनीकी विशेषज्ञ (वाटर शेड)

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