इसी तरह जिले की सैन्य प्रशिक्षण इकाइयों में सैनिकों को आधुनिक हथियार से लेकर नई तकनीक से युक्त प्रशिक्षण दिया जाने लगा है। कारगिल युद्ध में वीर योद्धाओं ने विजय हासिल की थी। इसलिए हर साल सैनिक इकाइयों में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। देश की रक्षा में शहीद हुए साहसी जवानों की वीरगाथा का स्मरण तो किया जाता है। सेना ने हर मोर्च पर सफलता का झंडा गाड़ा। गोला-बारूद और तोप का इस्तेमाल करते हुए दुश्मन देश के घुसपैठियों को मार गिराया। इसी तरह उनके ठिकानों को नेस्तनाबूत किया। वहां सेना मोर्च में पर डटी थी तो शहर की आयुध निर्माणियों में गोला-बारूद और वाहन तैयार करने का काम दु्रत गति से किया गया। अब इस रसद की तकनीक अपग्रेड होने से हम पहले से ज्यादा ताकतवर हो गए हैं।
एंटी टैंक एमुनेशन के नए वर्जन
कारगिल में ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया (ओएफके)का बड़ा योगदान रहा है। यहां के 84 एमएम बम, बीएमपी-2 और एल-70 बमो की इस युद्ध में अहम भूमिका रही। 84 एमएम के एंटी टैंक बम के अपग्रेड वर्जन का निर्माण ओएफके में मैंगों प्रोजेक्ट के रूप में किया जा रहा है। इसी तरह 125 एमएम एफएसएपीडीएस बम का निर्माण किया जा रहा है। पहले यहां इजराइल और अब रूसी वर्जन का उत्पादन हो रहा है। 5 हजार बम सेना को दिए जा चुके हैं।
कारगिल युद्ध में जिस 84 एमएम बम का इस्तेमाल किया गया था, वह भी अपग्रेड हो चुका है। अब इसके 751 हो गया है। इसके तीन प्रकार यहां बन रहे हैं। यह आधुनिक टैंकों को पलभर में उड़ा देता है। इसमें दो हेड लगे हैं। साथ ही एक्सप्लोसिव रिएक्ट आर्मर जैसी नई प्रणालिया भी। पहले और अब तकनीक का अंतर हो गया है। बारूद मिश्रण बदला है। इससे विस्फोटक क्षमता और लक्ष्य के नजदीक पहुंचने की संभावनाएं ज्यादा बढ़ी हैं। इसी तरह वायुसेना के लिए भी नया बम तैयार किया जा रहा है।
बोफोर्स ने लिया धनुष का रूप
ऊंची पहाडिय़ों पर बैठे दुश्मन का मौत का रास्ता दिखाने में स्वीडऩ की बोफोर्स तोप का बड़ा योगदान रहा। 155 एमएम 39 कैलीबर की यह तोप स्वीडन से सीधे आई थीं। लेकिन अब इस तोप का अपग्रेड और स्वदेशी वर्जन भी गन कैरिज फैक्ट्री में तैयार कर दिया गया है। इसका नाम धनुष तोप है। यह बोफोर्स की क्षमता 30 किलोमीटर की तुलना में 10 किलोमीटर ज्यादा दूरी तक निशाना साध सकती है। यह पूरी तरह कम्पयुटराइज्ड है। कई तरह के आधुनिक यंत्र इसमें लगे हैं। हालांकि वीकल फैक्ट्री में बने वीकल में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ लेकिन अब इनमें बीएस-4 इंजन लगाए जाएंगे। इसी तरह सेना के पास उपलब्ध तोप की मरम्मत के लिए 506 आर्मी बेस वर्कशॉप में भी धुनिकीकरण किया जा रहा है।.