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खेल सुविधाओं के साथ ‘खेल’, कैसे जीतेंगे हम

locationजबलपुरPublished: Jan 13, 2022 12:23:23 pm

sports facilities- खिलाड़ी खेलें भी तो कैसे, सुविधाओं में ही हो रहा बंदरबांट का खेल!
योजनाएं समय में पूरी नहीं होतीं, आधी-अधूरी ही रह जाती हैं

play ground

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जबलपुर. खेल गतिविधियों के अनुकूल और कई खेलों का जनक भी जबलपुर शहर है। हाल ही में यहां राष्ट्रीय खो-खो प्रतियोगिता सम्पन्न हुई। इतने के बाद भी शहर को उम्मीद के हिसाब से न खेल संसाधनों की सौगात मिली, न उन्हें गुणवत्तायुक्त बनाने पर जोर दिया गया। खेल सुविधाओं के साथ खिलवाड़ और भेदभाव ही ज्यादा हुआ। हालत यह है कि जबलपुर में महज आधा दर्जन खेलों के ढांचे हैं। इनमें भी ज्यादातर जीर्णशीर्ण हैं। इनमें से एक-दो का उपयोग ही नहीं हो रहा। सिर्फ एक खेल अकादमी शहर के हिस्से आई है। खेल सुविधाओं के नाम पर जारी होने वाले बजट की हर स्तर पर ‘बंदरबांट’ हो रही है।
‘गढ्ढे’ में बनाया सिंथेटिक हॉकी मैदान
जबलपुर में रानीताल खेल परिसर में सिंथेटिक हॉकी मैदान का काम चार साल देरी से पूरा हुआ। जांच एजेंसियों ने कई गड़बडिय़ां पकड़ी हैं। चार करोड़ 81 लाख रुपए की लागत से सिंथेटिक हॉकी मैदान के स्थान चयन पर सवाल उठाए गए। क्योंकि, यह स्थान सतह से दो मीटर नीचे था। केंद्र सरकार के खेल अधोसंरचना योजना का पैसा मैदान का लेवल बनाने में ही खर्च कर दिया गया, जबकि यह खेल ढांचा तैयार करने के लिए था। यही वजह है कि मैदान का काम पूरा करने के लिए राज्य शासन को अतिरिक्त बजट देना पड़ा। जरूरत से ज्यादा देर भी हुई। दूसरी ओर रानीताल खेल परिसर में हॉकी मैदान के अधिक उपयोग के लिए इसमें करीब 53 लाख रुपए की लागत से फ्लड लाइट लगाने के इंतजाम किए गए। हैरानी की बात है कि इसका उपयोग ही नहीं हुआ। जांच एजेंसियों को विभाग की ओर से इस आशय का जवाब प्रस्तुत ही नहीं किया गया।
अधूरे निर्माण को ही लिया कब्जे में
गोकलपुर में मिनी स्टेडियम निर्माण में हद दर्जे की लापरवाही सामने आई है। इसका निर्माण भी करीब एक साल देरी से हुआ। इसमें निविदा निकालने और ठेकेदार के चयन में जरूरत से अधिक समय लिया गया। अधूरे निर्माण को ही विभाग ने ठेकेदार से कब्जे में ले लिया। इसके लिए 74 लाख रुपए से अधिक मंजूर किए गए थे। इसी तरह एक और बड़ी गड़बड़ी सामने आई। रांझी में खेल परिसर के निर्माण के लिए खेल विभाग की ओर से दो करोड़ रुपए आंवटित किए गए थे। लेकिन, करीब डेढ़ करोड़ के कार्य ही कराए गए। बाकी राशि में से महज 29 लाख ही विभाग को लौटाए गए। बाकी के 16 लाख रुपए विभाग वसूल नहीं पाया।
ये बरती गई लारवाही
-निर्माण एजेंसियों से अनुबंध के वक्त विभाग ने कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की
-अनुबंध करते समय क्षतिपूर्ति या जुर्माने का प्रावधान शामिल नहीं किया गया
-समयबद्ध क्रियान्वयन और गुणवत्ता निर्धारित के लिए जिम्मेदारों समीक्षा बैठक जैसे प्रावधानों को शामिल नहीं किया
-निगरानी के अभाव में एजेंसियों ने मनमानी तरीके से समय लिया। जरूरत से ज्यादा देरी और घटिया निर्माण हुए
ये है मौजूदा खेल ढांचा
रांझी खेल परिसर- 1. बैडमिंटन का इंडोर हॉल 2. कबड्डी का ऑउटडोर मैदान
रानी ताल खेल परिसर- 1. एक हजार दर्शक क्षमता का क्रिकेट स्टेडियम 2. कबड्डी, खो-खो और वॉलीबॉल का आउटरडोर मैदान
युवा भवन रामपुर- बॉस्केटबॉल, कराते और कुश्ती के इनडोर और आउटरडोर मैदान
हॉकी सिंथेटिक टर्फ मैदान, तीरंदाजी रेंज, वेलोड्रम (साइकिलिंग)
एमएलबी खेल परिसर- हैंडबॉल, खो-खो, वूशू का आउटरडोर मैदान
विभागीय दावा: बीते चार साल में ये कराए कार्य
इंडोर हॉल की मरम्मत- 17.35 लाख
रांझी में रोड का निर्माण- 20 लाख
रानीताल छात्रावास भवन में विद्युत कार्य- 91 लाख
रानी ताल प्रशासनिक भवन की मरम्मत- 06 लाख
रानी ताल इंडोर हॉल की मरम्मत- 06.56 लाख
वर्जन….
हॉकी एस्ट्रोटर्फ में फ्लडलाइट का उपयोग इसलिए नहीं हो पाता था, क्योंकि कोच नहीं था। अब उसकी नियुक्तिहुई है। प्रयास होगा कि अब इस सुविधा का लाभ खिलाडिय़ों को मिल सके। रांझी स्टेडियम में इंडोर खेलों की सुविधा बेहतर है। आउटडोर में उतनी गतिविधियां नहीं चल पातीं। उस मैदान को भी बेहतर करने का प्रयास करेंगे।
– आशीष पांडेय, जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी
जबलपुर खेलों के मामले में अग्रणी रहा है। पहले से सुविधाएं बेहतर हुई हैं। अलग-अलग संस्थाएं खेल अधोसंरचनाओं का निर्माण कर रही हैं। बड़ी सौगात स्पोट्र्स सिटी है। भविष्य में उसका निर्माण शहर को नई ऊंचाइयां देगा। राष्ट्रीय स्पर्धाओं का आयोजन भी कर रहे हैं। इससे खेलों का महत्व बढ़ रहा है। नई एकेडमी के लिए भी प्रयासरत हैं।
– दिग्विजय सिंह, सचिव मध्यप्रदेश ओलंपिक संघ
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