वर्तमान में गांव के 36 लोग विभिन्न फोर्स में कार्यरत हैं। इनमें सीआरपीएफ में छह, बीएसएफ में आठ, सेना में 19 और एमपी पुलिस में तीन लोग कार्यरत हैं। गांव में पुलिस व सेना से दो-दो, सीआरपीएफ और बीएसएफ से एक-एक रिटायर भी हैं। यहंा के अधिकतर युवकों की पहली पसंद सेना है। गांव में पांच दम्पती ऐसे हैं, जिनके इकलौते लाल सेना में देश का मान बढ़ा रहे हैं।
तीर्थाटन से कम नहीं खुड़ावल की धरती
खुड़ावल गांव की धरती किसी तीर्थाटन से कम नहीं है। यहां की रज-रज में देशप्रेम की भावनाएं हिलोरें लेती हैं। खेतों में लहलहाती फसलों की तरह गांव के जवान सेना में जाने को सज्ज हैं। राजेंद्र प्रसाद, रामेश्वर पटेल और अब अश्विनी काछी की शहादत ने यहां के युवाओं में सेना में जाने का जज्बा बढ़ा दिया है।
गांव में शहीद स्थल भी बनाया गया है, जो यहां के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। रामेश्वर पटेल के बाद अश्विनी दूसरे ऐसे शहीद हैं, जिनका अंतिम संस्कार यहां किया गया है। उनकी याद में यहां पौधे भी रोपे गए हैं। यहां जल्द ही अश्विनी की प्रतिमा लगाई जाएगी। इसे पयर्टन की तर्ज पर विकसित करने का निर्णय किया गया है।
शहीद की अस्थि कलश यात्रा देख ठहर गए शहरवासी
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद अश्विनी काछी का अस्थि कलश मंगलवार को मां रेवा में प्रवाहित किया गया। खुड़ावल से ग्वारीघाट के बीच 44 किमी की इस यात्रा में जगह-जगह लोगों ने शहीद को नमन करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए। किसी ने रास्ते में फूल बिछाकर शहीद को नमन किया तो कुछ ने पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी भावनाएं प्रकट कीं। अस्थि कलश यात्रा के साथ चल रहे युवा हाथों में तिरंगा लिए रास्ते पर शहीद अश्विनी काछी अमर रहे के गगनभेदी नारे लगा रहे थे। यात्रा जहां से भी गुजरी लोग ठहर गए।खुड़ावल गांव से शहीद का अस्थि कलश लेकर बड़े भाई अवधेश काछी खुले वाहन से ग्वारीघाट नर्मदा में प्रवाहित करने के लिए निकले। इस दौरान उनके साथ सुनील जैन, शरद उपाध्याय, रविकांत यादव, विनय असाटी मौजूद थे।