जबलपुरPublished: Sep 07, 2017 09:45:00 am
Premshankar Tiwari
हाईकोर्ट ने कहा उम्रकैद तो काटनी ही पड़ेगी, बेटे की गवाही पर पत्नी को पीट-पीट कर मारने वाले पति को सजा
killer husband – When cooking was delayed the woman was beaten badly by the husband
जबलपुर। एक पति ने एक दिन अपनी पत्नीसे सुबह-सुबह खाना मांग लिया। पत्नी ने भोजन तैयार ना होने की बात कही। लेकिन पति तत्काल खाना परासने की जिद करने लगा। इस पर पत्नी ने ऊंचे स्वर में कह दिया कि खाने के लिए कुछ वक्त को ठहरना होगा। पत्नी के इतना बोलते ही पति भड़क उठा। उसने लात-घूंसों से पत्नी की पिटाई शुरू कर दी। खाना पकाने में देरी की बात कहते हुए गुस्साएं पति ने तब तक पत्नी की पिटाई की जब तक कि उसने दम नहीं तोड़ दिया। पत्नी की हत्या के मामले में काशीराम को सत्र न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसे बुधवार को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। लेकिन काशीराम की ओर से दायर की गई अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।
यह है मामला
अभियोजन के अनुसार खंडवा जिले की हरसूद तहसील के ग्राम जमन्या सरसारी थाना खालवा निवासी काशीराम कोरकू के साथ उसका बड़ा पुत्र लखन भी रहता था। घटना दिनांक २६ सितंबर २००४ को सुबह करीब ९ बजे काशीराम ने अपनी पत्नी सुंदरबाई से खाना मांगा। उसने कहा कि अभी खाना नहीं पका। इस पर दोनो में विवाद हो गया और काशीराम अपनी पत्नी को पटक कर पीटने लगा। शोर-शराबा सुन कर उसका पुत्र लखन बीचबचाव करने आया तो काशीराम ने उसे भी मारने की धमकी दी। इस पर लखन खेत चला गया। खेत से लौट के आने पर उसने मां की लाश बरामदे में पड़ी देखी। पिता वहीं पर मौजूद था, लेकिन वह मां के मरने की कोई स्पष्ट वजह नहीं बता सका। है।
दो वर्ष पहले दी सजा
घटना की सूचना पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भादंवि की धारा ३०२ के तहत प्रकरण दर्ज किया था। १ अक्टूबर २०१५ को सत्र न्यायालय खंडवा ने काशीराम को पत्नी की हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया।
इसी फैसले को काशीराम की ओर से अपील में चुनौती दी गई थी, जिसे खारिज कर दिया गया।
किसी भी प्रकार की रियायत से इंकार
खंडवा सत्र न्यायालय की के फैसले को काशीराम की ओर से हाईकोर्ट में अपील में चुनौती दी गई थी। इस मामले में बुधवार को सुनवाई हुई। जस्टिस एसके गंगेले व जस्टिस अनुराग कुमार श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने कहा कि बेटे की गवाही पर कोर्ट ने उसे सजा दी है। इसे अनुचित नहीं ठहराया जा सकता। इसी के साथ कोर्ट ने आरोपी को कोई भी रियायत देने से इंकार कर दिया। खंडवा जिला अदालत के फैसले के खिलाफ की गई अपील खारिज कर दी।
कारण क्यों नहीं बता पाया
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अपराध साबित करना अभियोजन पक्ष की जवाबदारी होती है। लेकिन किसी अपराध से जुड़े कुछ तथ्य केवल आरोपी को ही मालूम होते हैं। ये तथ्य सिद्ध करना अभियोजन के लिए असंभव होता है। लिहाजा इनके बारे में आरोपी को ही जानकारी देना होता है। कोर्ट ने कहा कि अपराधी के पुत्र लखन ने उसे मृतका को पीटते देखा। इसके बाद उसने मृतका का शव और अपराधी को घर में ही मौजूद देखा। सुंदरबाई की मौत कैसे हुई, इसकी कोई स्पष्ट वजह अपराधी न तो पुत्र के पूछने पर बता सका और ना ही पुलिस के पूछने पर। लिहाजा यह निर्धारित करने में कतई संदेह नहीं है कि अपीलकर्ता ने ही अपनी पत्नी की हत्या की थी।