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लक्ष्मी जी विराजेंगी आपके घर, मिलेगा अपार धन, पूर्णिमा पर करें ये विशेष पूजा

locationजबलपुरPublished: Oct 20, 2018 01:39:37 pm

Submitted by:

Lalit kostha

लक्ष्मी जी विराजेंगी आपके घर, मिलेगा अपार धन, पूर्णिमा पर करें ये विशेष पूजा

kojagari lakshmi puja 2018 dhan pane ka shubh muhurat

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जबलपुर। अश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। वहीं बंगाल में इसे कोजागरी पर्व भी कहा जाता है। यह दशहरा के बाद पांचवे दिन आता है। इस दिन व्रत रखने और पूजन करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है। ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन विधि विधान से पूजन व्रत करता है उसके घर पैसों की बारिश होती है। लक्ष्मी माता उसके घर विराजमान होती हैं। मप्र, बंगाल समेत ये पर्व बिहार में भी बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। जिनके घरों में किसी की उस साल शादी हुई होती है उनके घरों में यह त्योहार अवश्य मनाया जाता है। शादी के पहले साल इस तिथि का लोग इंतजार करते हैं और नवविवाहिता के घर से लोग अपने दामाद के घर मखाना, कपड़े और अन्य समान भेजते हैं।

कोजागरी पूजा शुभ मुहूर्त

कोजागरी पूजा निशिता का समय – रात 11.39 से 12.31 बजे तक
अवधि – 51 मिनट
पूर्णिमा तिथि शुरू – रात 10.36 (23 अक्टूबर)
पूर्णिमा तिथि समाप्त – रात 10.14 बजे (24 अक्टूबर)

रात में होती है महालक्ष्मी की पूजा
कोजागरी के अवसर पर महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर रात में जागकर महालक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। इस अवसर पर जीजा अपने सालों के साथ चौपड़, कौड़ी या ताश खेलता है। ऐसी मान्यता है कि कोजागरी पूजन से नवदंपति को महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन व्रत का भी विधान है। व्रत रखने वालों को संध्या के समय गणपति और माता लक्ष्मी की पूजा करके अन्न ग्रहण करते हैं। आश्विन और कार्तिक को शास्त्रों में पुण्य मास कहा गया है।

कोजागरी पूर्णिमा का महत्व
कोजागरी पूर्णिमा की रात की बड़ी मान्यता है, कहा गया है कि इस रात चांद से अमृत की वर्षा होती है। बात काफी हद तक सही है। इस रात दुधिया प्रकाश में दमकते चांद से धरती पर जो रोशनी पड़ती है उससे धरती का सौन्दर्य यूं निखरता है कि देवता भी आनन्द की प्राप्ति हेतु धरती पर चले आते हैं। इस रात की अनुपम सौंदर्य की महत्ता इसलिए भी है क्योंकि देवी महालक्ष्मी जो देवी महात्मय के अनुसार सम्पूर्ण जगत की अधिष्ठात्री हैं, इस रात कमल आसन पर विराजमान होकर धरती पर आती हैं। मां लक्ष्मी इस समय देखती हैं कि उनका कौन भक्त जागरण कर उनकी प्रतिक्षा करता है, कौन उन्हें याद करता है। इस कारण इसे को-जागृति यानी कोजागरी कहा गया है।

कोजागरी में काली पूजा
इस दिन जहां देश के कई भागों में लोग माता लक्ष्मी के नाम से व्रत करते हैं और उनसे अन्न धन की प्राप्ति की कामना करते हैं। वहीं बंगाली समाज मेंं इस रात काली पूजा का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन शुरू हुई काली पूजा दस दिनों तक चलती है।

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