कार्तिक स्नान व्रत, गोपियों के वेष में होता है श्रंगार, पूरे माह चलती है चौतरियों की पूजा, आहार भी अनूठा
जबलपुर। भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर में अवतार लिया था, लेकिन उनकी गोपियां संस्कारधानी में आज भी थिरकती हैं। लोग बकायदा उन्हें घर पर आमंत्रित करके उनका नृत्य देखकर न्यौछावर भी करते हैं। बात हो रही है कार्तिक व्रतधारी महिलाओं की..। इनका अंदाज हूबहू गोपियों जैसा ही होता है। जबलपुर के लगभग हर मोहल्ले, कॉलोनियों के साथ नदी, सरोवरों के किनारे भी अल सुबह इन गोपियों की मस्ती को सजीव देखा जा सकता है। मंगलवार को त्रिमूर्तिनगर कॉलोनी में इन्हीं गोपियों की टोली ने तुलसी माता को हल्दी लगाई और फिर अपने श्रीकृष्ण को गले से लगाकर, झूमकर नाचीं। इनका अंदाज ही कुछ ऐसा था कि लोग देखते रह गए। एकादशी को धूमधाम से तुलसी और शालिगराम का विवाह रचाया जाएगा।
करवा चौथ से नियम
गोपियों के दल की प्रमुख सुमन शर्मा ने बताया कि कार्तिक स्नान व्रत करवा चौथ से प्रारंभ हो जाता है। इसका समापन बैकुंठ चतुदर्शी पर होता है। व्रत के दौरान व्रतधारी गोपियां रात्रि करीब 3 बजे बिस्तर छोड़ देती हैं। स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनकर गोपियों जैसा रूप धारण कर लेती हैं। फिर गंगाजी की बालू से चौक पूरकर उसमें गणेशजी, श्रीकृष्ण-राधाजी और शिव-पार्वती समेत अन्य देवताओं की आकृति बनाती हैं। इस आकृति का विधि विधान से पूजन किया जाता है। पूजन के उपरांत गोपियां साज-बाज से भजनों की धुन पर झूमकर नाचती हैं। सूर्योदय से पहले उनके इस क्रम पर विराम लग जाता है।
कंठ में राघा- कृष्ण
गोपी शीला पांडेय व ऊषा मिश्रा ने बताया कि कार्तिक स्नान व्रत का संकल्प करवा चौथ पर लिया जाता है। इस दिन सुपारी, दृव्य, पंचमेवा आदि का पूजन करके उसे कृष्ण स्वरूप मानकर एक कपड़े में बांध लिया जाता है। इसी तरह एक छोटे से कलश यानी लोटे में जल भरकर उसे भी कपड़े में बांधा जाता है। इस कलश को राधा का स्वरूप माना जाता है। गोपियां महीने भर इस कपड़े को गले में टांगकर अपने कंठ में धारण करती हैं। रोज इन्हीं को षोडशोपचार विधि से पूजन भी किया जाता है। आंवला, तुलसी, पीपल आदि का भी पूजन होता है।
केवल भाजी और रोटी
गोपी आशा पांडेय, विनीता शर्मा व सुमन पांडेय ने बताया कि व्रत के दौरान एक वक्त ही भोजन किया जाता है। भोजन में लाल भाजी का सेवन आवश्यक है। अधिकांश गोपियां केवल भाजी-रोटी का ही सेवन करती हैं। व्रत के दौरान एक माह तक सादगी से रहती हैं।
हर रोज गीत और नृत्य
गोपी के रूप में थिरक रहीं कृष्णा तिवारी व प्रीति पांडेय ने बताया कि कार्तिक माह में ब्रम्ह मुहूर्त में पूजन अर्चन के बाद सखियां आमंत्रण पर कुछ घरों में जाकर नृत्य भी करती हैं। मंगलगीत गाए जाते हैं। इस माह पवित्र नदियों में स्नान व दान के साथ दीपदान का विशेष महत्व व पुण्य बताया गया है।
तुलसी मां को चढ़ी हल्दी
गोपियों ने मंगलवार को तुलसी के पौधे पर हल्दी लगाई। आपस में भी हल्दी लगाने की रस्म निभाई और फिर मंगलगीतों के साथ नृत्य किया। इसमें जयश्री तिवारी, आशा पटेल, उमा सोनी, बबली सराफ, ज्योति, रोशनी पटेल समेत अन्य महिलाएं शामिल रहीं।
ये है वैदिक महत्व
ज्योतिषाचार्य पं. अखिलेश त्रिपाठी व पं. रामसंकोची गौतम के अनुसार पुराणों में उल्लेख है कि कार्तिक मास में स्नान करने से एक हजार बार गंगा स्नान और कई कुंभ स्नान का फल प्राप्त होता है। पद्म पुराण में लिखा है कि इस व्रत करने से ही सत्यभामा को श्रीकृष्ण पति के रूप में प्राप्त हुए थे। यह भी मान्यता है कि प्रलय के समय राक्षस ने वेदों को चुराकर जल में छिपा दिया था। भगवान ने मत्स्य अवतार लेकर वेदों को सुरक्षित किया। तब से कार्तिक मास में वेदों का अंश जल में होता है। इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से वेदों का रस पान करने जैसा फल प्राप्त होता है।
और ये वैज्ञानिक पक्ष
जानकारों का कहना है कि कार्तिक का महीना हेमंत व शिशिर ऋतु के संधि काल का होता है। इस दौरान सर्दी, खांसी, बुखार व अन्य तरह के रोग सताते हैं। कार्तिक महीने में व्रत रखने वाले लोग केवल लाली भाजी और रोटी के रूप में सादा व हल्का सुपाच्य भोजन ही ग्रहण करते हैं। पूजन के बाद तुलसी की पत्तियां व आंवला के पूजन के साथ आंवला की चटनी खाई जाती है। ये दोनों ही चीजें स्वास्थ्य के लिए वरदान है। आंवला जहां शरीर को पुष्ट करता है वहीं तुलसी के पत्र आरोग्यता प्रदान करते हैं। उपवास का पूरा पक्ष वैज्ञानिक है।