scriptभू-माफिया की गिद्धदृष्टि, रोकें जमीन की बंदरबाट | Land mafia vulture vision on the ground | Patrika News

भू-माफिया की गिद्धदृष्टि, रोकें जमीन की बंदरबाट

locationजबलपुरPublished: Nov 30, 2019 10:09:19 pm

– ग्रीन बेल्ट, पहाड़ी, तालाब, गोठान, चरनोई की जमीन पर कॉलोनी तन रही हैं या अवैध कब्जे हो गए। पार्क और सड़क की जमीन भी नहीं बच रही। लेकिन, जिम्मेदार सरकारी जमीन के खेल पर प्रभावी अंकुश लगाने में नाकाम हैं।

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जबलपुर. जबलपुर की बेशकीमती जमीन पर भू-माफिया की गिद्धदृष्टि है। बाहुबल और रसूख के दम पर ग्रीन बेल्ट, पहाड़ी, तालाब, गोठान, चरनोई की जमीन की बंदरबाट और गड़बड़झाला वर्षों से जारी है। इन पर कॉलोनी तन रही हैं या अवैध कब्जे हो गए। पार्क और सड़क की जमीन भी नहीं बच रही। लेकिन, जिम्मेदार सरकारी जमीन के खेल पर प्रभावी अंकुश लगाने में नाकाम हैं। यदि जमीन के धंधे में ‘जिसकी लाठी उसकी भैंसÓ का ही कानून चलता रहेगा, तो इससे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति कुछ और नहीं हो सकती। इन हालातों में अवैध कब्जों की विकराल समस्या को रोक पाना मुश्किल होगा। जबलपुर में जमीन के खेल की चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है।
मास्टर प्लान के मुताबिक जहां ट्रांसपोर्ट नगर, फायर स्टेशन जैसे अहम प्रोजेक्ट शुरू होने थे, वहां भू-माफिया और अफसरों की सांठगांठ से खरीद-फरोख्त की गई। 85 एकड़ में प्रस्तावित तेवर ट्रांसपोर्ट नगर की जमीन का एक हिस्सा खुर्दबुर्द कर दिया गया। जिला प्रशासन और नगर निगम की आंखों में धूल झोंककर बिल्डर ने कुछ हिस्सा प्लॉट बनाकर कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को बेच दिया। दांव उल्टा पड़ता देख अब अधिकारी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। जबलपुर विकास प्राधिकरण के एक पूर्व अधिकारी ने ऐसा ही कारनामा कर दिखाया।
एक नामी बिल्डर ने एसपी बंगले की जमीन अपने नाम करा ली और पुलिस महकमा सोता रहा। ऐसे कारनामे आए दिन होते हैं और पीडि़त दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। जाहिर है जमीन के धंधे में हर तरह का धन लगा है। शायद यही बड़ी वजह है कि इन मामलों में यथास्थिति बनाए रखने में ज्यादा रुचि दिखाई देती है। कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में गोठान, पार्क, तालाबों सहित सार्वजनिक निस्तार की जमीन कब्जा मुक्तकराने के लिए कहा था, फिर भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सवाल उठता है कि राजस्व के प्रकरणों और विवादों को निपटाने की पुख्ता व्यवस्था आखिर कब बनेगी? कई महत्वपूर्ण जमीन के रिकॉर्ड गायब हैं। वरिष्ठ अफसरों को चाहिए कि आरआई, पटवारी से लेकर तहसीलदार और एसएलआर की ओर से होने वाली लापरवाही रोकें और जमीन के रिकॉर्ड यथासमय दुरुस्त करवाएं। ताकि, सरकारी जमीन की बंदरबाट रोकी जा सके। साथ ही गड़बड़ी करने वालों पर प्रभावी और सख्त कार्रवाई की जा सके।
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