scriptmp high court judgement in hindi : चाचा ने रिश्ते पर लगाया कलंक, आजीवन कारावास में बदली फांसी की सजा | latest decision for mp high court from gang rape case | Patrika News

mp high court judgement in hindi : चाचा ने रिश्ते पर लगाया कलंक, आजीवन कारावास में बदली फांसी की सजा

locationजबलपुरPublished: Nov 23, 2017 08:22:35 pm

Submitted by:

deepankar roy

अपराधी की कम उम्र के चलते हाईकोर्ट ने बैतूल जिला अदालत के फैसले में किया आंशिक संशोधन

latest decision for mp high court from gang rape case,High Court of MP ,High Court of MP ,MP High Court Decision ,MP High Court Order ,MP High Court direction ,MP High Court Order Rape,MP High Court Direction for State Government ,Jabalpur High Court ,Jabalpur High Court,Jabalpur High Court Decision for Betul Rape Case ,Jabalpur High Court direction to State Government,Jabalpur High Court Order ,MP Government,MP High Court Case List ,jabalpur High Court Case List ,Jabalpur High Court ,MP High Court Chief Justice ,MP High court Vacancy ,Jabalpur High Court Cause List ,Jabalpur High Court Judgment ,Jabalpur High Court Website ,Jabalpur High Court Latest News in Hindi ,High Court Order for Gangrepe Case ,Rape in MP Bhopal Gangrepe Case,Amla Gangrape case ,Gangrape ,Betul gangrape case,High Court,

latest decision for mp high court from gang rape case

जबलपुर। अपने रिश्तें की नाबालिक भतीजी को घर पर अकेला पाकर एक चाचा ने केवल संबंधों को तार-तार कर दिया बल्कि उसकी हैवानियत को सुनने वालों की भी रूह कांप गई। घटना बैतूल जिले के रायसेड़ा बस्ती की है। एक दिन विनय नाम का युवक अपने दो नाबालिग साथियों के साथ रिश्ते की नाबालिग भतीजी के घर पर पहुंचा। उस वक्त लड़की की छोटी बहन और दोनो भाई घर पर नहीं थे। उसे अकेला देखा तो आरोपियों ने मिलकर लड़की के साथ गैंगरेप किया और फिर गला घोंटकर हत्या कर दी।

इस मामले में मप्र हाईकोर्ट ने अपनी ही नाबालिग भतीजी से गैंगरेप व उसकी हत्या के अपराधी को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा में आंशिक संशोधन किया है। हालांकि जस्टिस एसके सेठ व जस्टिस अंजुलि पालो की डिवीजन बेंच ने यह मानने से इनकार कर दिया कि मामला रेयरेस्ट ऑफ द रेयर नहीं है। कोर्ट ने अपना सुरक्षित फैसला सुनाते हुए कहा कि अपराधी की कम उम्र को देखते हुए उसकी फांसी की सजा उम्र कैद में बदली जाती है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आजीवन का मतलब जीते जी व बिना किसी छूट के सजा से है।
यह है मामला
बैतूल अपर सत्र न्यायाधीश मोहन तिवारी ने २२ जून २०१६ में आरोपी विनय धुर्वे को फांसी की सजा सुनाई थी। मामले के अन्य दो नाबालिग आरोपियों पर किशोर न्यायालय में मामला विचाराधीन है। अभियोजन के अनुसार बैतूल जिले के आमला थाना क्षेत्र में रायसेड़ा की रहने वाली नाबालिग लड़की 16 नवंबर 2016 को घर पर अकेली थी। उसके माता-पिता रिश्तेदारी में दूसरे गांव गए थे। लड़की की छोटी बहन और दोनो भाई घर पर नहीं थे। दोपहर में विनय अपने दो नाबालिग साथियों के साथ लड़की के घर पहुंचा। विनय ने लड़की से कहा कि वो डैम से केकड़े पकड़कर लाया है उसे बना दो। उसे अकेला देखा तो आरोपियों ने मिलकर लड़की के साथ गैंगरेप किया और फिर गला घोंटकर हत्या कर दी । उन्होंने साड़ी से घर की छत पर लगी लकड़ी की बल्ली से मृतका का शव लटका दिया था।

कम उम्र और पहला अपराध
7 माह 15 दिन चले विचारण में 28 लोगों की गवाही के बाद २२ जून २०१६ को अदालत ने विनय धुर्वे को फांसी की सजा सुनाई थी। अपीलकर्ता विनय की ओर से अधिवक्ता खालिद नूर फखरूद्दीन ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि वह महज इक्कीस साल का है। उसका पूर्व अपराधिक रिकार्ड भी नहीं है। अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा है कि अपराधी किस प्रकार से समाज के लिए खतरा है। कोर्ट ने अपने २९ पृष्ठीय निर्णय में कहा कि सुको के सेल्वम विरुद्ध सरकार एवं राजकुमार विरुद्ध मप्र सरकार के मामलों में दिए गए निर्णयों के आधार पर अपराधी की सजा कम की जाती है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो