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Private Medical and Engineering Colleges में क्यों नहीं कराए गए चुनाव, हाईकोर्ट ने एमपी गवर्नमेंट से मांगा जवाब

locationजबलपुरPublished: Nov 28, 2017 01:28:54 pm

Submitted by:

deepankar roy

चिकित्सा शिक्षा व तकनीकी शिक्षा विभाग को भी बनाया पक्षकार, जवाब के लिए एक सप्ताह की मोहलत

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जबलपुर। प्रदेश में प्राइवेट डिग्री कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव के बाद अब प्रोफेशनल कॉलेजों में छात्रसंघ गठन का मामला गर्मा गया है। इस मामले में दायर एक याचिका में सोमवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश के निजी मेडिकल, इंजीनियरिंग व अन्य तकनीकी कॉलेजांे में छात्रसंघ चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे हैं?
एक सप्ताह की मोहलत
चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने कहा है कि मामला चिकित्सा शिक्षा व तकनीकी शिक्षा विभाग से जुड़ा है। इसलिए दोनो विभागों को भी पक्षकार बनाया जाए। कोर्ट ने दोनो विभागों सहित सरकार को पक्ष पेश करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी है।
इंजीनियरिंग छात्र की याचिका
जबलपुर के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र वरुण दुबे ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया जारी है। लेकिन निजी इंजीनियरिंग, मेडिकल व अन्य तकनीकी कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। यह न केवल संवैधानिक समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि छात्रहित पर कुठाराघात भी है।
अभी तक नहीं मिला जवाब
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता वेदप्रकाश तिवारी ने कोर्ट को बताया कि २२ नवंबर को कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया था। लेकिन अभी तक जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया। उपमहाधिवक्ता संजय द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि उन्हें अभी सरकार से निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मेडिकल व इंजीनियरिंग शिक्षा क्रमश: चिकित्सा शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा विभागों के अधीन संचालित हैं। लिहाजा न्यायहित में इन विभागों के प्रमुख सचिवों को भी पक्षकार बनाया जाए।
4 दिसंबर को सुनवाई होगी
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद चिकित्सा शिक्षाक और तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिवों को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए। कोर्ट ने सभी अनावेदकों को अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए एक हफ्ते की मोहलत दे दी। अगली सुनवाई ४ दिसंबर तय की गई।

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