यह है मामला
सुरेश भदौरिया को व्यापमं की पीएमटी परीक्षा में अनियमितता, फर्जीवाड़े के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। सीबीआई के मुताबिक भदौरिया ने 88 छात्रों का अवैध तरीके से प्रवेश कराया। डीएमई को व्यापमं घोटाले के आरोपी 18 छात्रों के प्रवेश की झूठी जानकारी दी। सीबीआई ने भदौरिया के खिलाफ भादंवि की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120 बी, आईटी एक्ट की धाराओं 65, 66, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 13 (1) (डी), 13 (2) व मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किए। 15 माह फरार रहने के बाद 27 मार्च 2019 को भदौरिया ने भोपाल कोर्ट में सरेंडर किया था। तब से वह जेल में है।
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सुरेश भदौरिया को व्यापमं की पीएमटी परीक्षा में अनियमितता, फर्जीवाड़े के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। सीबीआई के मुताबिक भदौरिया ने 88 छात्रों का अवैध तरीके से प्रवेश कराया। डीएमई को व्यापमं घोटाले के आरोपी 18 छात्रों के प्रवेश की झूठी जानकारी दी। सीबीआई ने भदौरिया के खिलाफ भादंवि की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120 बी, आईटी एक्ट की धाराओं 65, 66, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 13 (1) (डी), 13 (2) व मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किए। 15 माह फरार रहने के बाद 27 मार्च 2019 को भदौरिया ने भोपाल कोर्ट में सरेंडर किया था। तब से वह जेल में है।
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नहीं चला बीमारी का तर्क
भदौरिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे, पराग चतुर्वेदी, जसनीत होरा ने तर्क दिया कि आवेदक गम्भीर रूप से बीमार है। एम्स भोपाल सहित अन्य स्थानीय अस्पतालों में आवेदक का इलाज नहीं हो सकता। उच्च स्तरीय चिकित्सा के लिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए। सीबीआई की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल जेके जैन ने अर्जी का विरोध किया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि आवेदक को एम्स व शासकीय मेडिकल कॉलेज भोपाल की कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल में ही चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। इस मत के साथ कोर्ट ने भदौरिया की अर्जी खारिज कर दी।
भदौरिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे, पराग चतुर्वेदी, जसनीत होरा ने तर्क दिया कि आवेदक गम्भीर रूप से बीमार है। एम्स भोपाल सहित अन्य स्थानीय अस्पतालों में आवेदक का इलाज नहीं हो सकता। उच्च स्तरीय चिकित्सा के लिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए। सीबीआई की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल जेके जैन ने अर्जी का विरोध किया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि आवेदक को एम्स व शासकीय मेडिकल कॉलेज भोपाल की कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल में ही चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। इस मत के साथ कोर्ट ने भदौरिया की अर्जी खारिज कर दी।