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सुप्रीम कोर्ट के स्पष्टीकरण के बावजूद प्रमोशन में रोक क्यों

locationजबलपुरPublished: Jan 24, 2019 01:02:09 am

Submitted by:

reetesh pyasi

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा, नोटिस जारी कर मांगा जवाब
 

mp highcourt

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जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्टीकरण के बावजूद राज्य में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति पर रोक बरकरार क्यों है? जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। कोर्ट ने सरकार को 5 मार्च तक का समय दिया है।
यह है मामला
जबलपुर निवासी खनिज अधिकारी प्रदीप तिवारी ने याचिका दायर कर कहा कि मप्र हाईकोर्ट ने 2014 में सरकारी कर्मियों के प्रमोशन में आरक्षण सम्बंधी प्रावधान को असंवैधानिक करार दे दिया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। वह अपील फिलहाल लम्बित है। अधिवक्ता समदर्शी तिवारी और प्रणय चौबे ने तर्क दिया कि 12 जून 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था। इस अंतरिम आदेश को स्पष्ट करने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया। सुको ने अपने पूर्व अंतरिम आदेश को स्पष्ट करते हुए साफ कर दिया कि सरकार नियमानुसार पदोन्न्ति कर सकती है। यद्यपि एेसी पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट में लम्बित अपील के अंतिम निर्णय के अधीन होगी।
राज्य सरकारों को दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के स्पष्टीकरण के आधार पर केंद्र सरकार ने 15 जून 2018 को एक आदेश जारी कर सभी राज्य सरकारों को पदोन्नति के लिए स्वतंत्र कर दिया। अधिवक्ताद्वय ने कहा कि इसके बावजूद प्रदेश में पदोन्नति पर रोक बरकरार है। जिन मामलों में हाईकोर्ट के 2014 के आदेश के पूर्व डीपीसी पूर्ण हो चुकी थी और इसका निर्णय बंद लिफाफे में रख दिया गया था, उन मामलों में कोई संवैधानिक अड़ंगा न होने के बावजूद प्रमोशन रोककर रखा गया है।
सशस्त्र सैन्य बल अधिकरण में नियुक्ति के लिए कमेटी गठित
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने बुधवार को बताया कि सशस्त्र सैन्य बल अधिकरण जबलपुर में न्यायिक सदस्य की नियुक्ति के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। जल्द ही इस पद पर नियुक्ति हो जाएगी। चीफ जस्टिस एसके सेठ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ ने इसे रेकॉर्ड पर लेकर जनहित याचिका निराकृत कर दी।

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