बंजर न बन जाए जमीन
शहपुरा-पाटन क्षेत्र में मृदा परीक्षण के साथ ही वैज्ञानिकों की चिंता भी बढ़ गई है। उनकी चिंता किसानों द्वारा उपयोग किए जा रहे रासायनिक उर्वरक को लेकर है। कई किसान ज्यादा से ज्यादा उत्पादन की होड़ में उर्वरकों का मनमाना इस्तेमाल कर रहे हैं। खेतों में लगातार एक ही फसल उगा रहे हैं। इसका मृदा पर बुरा असर पड़ रहा है। नतीजतन कुछ जमीनों में पोषक तत्व नत्रजन से लेकर जिंक, आयरन, पोटाश की कमी आई है। उर्वरकों का अंधाधुंध उपयोग जमीन को बंजर बना सकता है।
यहां नत्रजन कम हुआ
कुं डम में पथरीली जमीन होने के कारण अच्छे उत्पादन के लिए किसान ज्यादा मात्रा में उर्वरक उपयोग करते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार यहां की मृदा में नत्रजन कम हुआ है। नत्रजन 450 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक उच्च होता है। नत्रजन में 50 से 60 किलोग्राम प्रति हेक्टयर तक की कमी आई है। आयरन 1 हेक्टेयर पर 4.5 पीपीएम (पार्ट पर मिलीग्राम) होना चाहिए। इसमें 1 से 2 पीपीएम तक की कमी आई है।
17 पोषक तत्व आवश्यक
फसलों के पोषण के लिए 17 पोषक तत्व आवश्यक होते हैं। इनमें संरचनात्मक तत्व कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन शामिल हैं। इसके अलावा मुख्य पोषक तत्वों में प्राथमिक पोषक नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, द्वतीयक पोषक कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर आवश्यक होते हैं। पौधे के विकास के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व कॉपर, जिंक, मैग्नीज, आयरन, बोरान, मालीविडनम, क्लोरीन व निकिल भी जरूरी होते हैं।
कम हो रहा है आयरन और जिंक
आर्गेनिक कार्बन, नत्रजन, फॉस्फोरस निम्न से मध्यम है। पोटाश की भी कई क्षेत्रों में कमी आ रही है। जिन जमीनों में लगातार धान व गन्ना की फसल उगाई जा रही है उनमें जिंक व आयरन कम हो रहा है। शहपुरा व पाटन क्षेत्र से मृदा के सौ नमूने लेकर उनका परीक्षण किया गया तो आयरन की मात्रा में 5 से 10 प्रतिशत की कमी आई है।
12 पोषक तत्वों की जांच
मृदा प्रयोगशाला में परीक्षण के दौरान मृदा में 12 पोषक तत्वों की जांच होती है। इनमें नत्रजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, आर्गेनिक कार्बन, कॉपर, जिंक, मैग्नीज, आयरन, सल्फर, बोरान शामिल हैं।
उर्वरा शक्ति पर बुरा असर
कृषि विश्वविद्यालय में सहायक मृदा सर्वेक्षण अधिकारी मुकेश वर्मा के अनुसार शहपुरा, पाटन में मृदा की गुणवत्ता बहुत अच्छी है। लेकिन उर्वरक के अधिक इस्तेमाल से उर्वरा शक्ति पर इसका बुरा असर पड़ रहा है।