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किसानों तक पहुंचेंगे गोबर के गमले, कमाल है इनका राज

locationजबलपुरPublished: Jan 05, 2018 08:58:49 pm

Submitted by:

deepankar roy

तकनीकी को गांवों तक पहुंचाने में जुटा वेटरनरी विवि, कई लोग कर चुके हैं सराहना

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जबलपुर। वेटरनरी विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए जा रहे गोबर के गमले अब किसानों के आंगन और बाड़ी तक पहुंचेंगे। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इसे किसानों तक पहुंचाने के लिए नर्सरी संचालकों, पशु पालकों को ट्रेंड करना शुरू कर दिया है। किसानों को भी इस गमले की कमाल की विशेषताओं से अवगत कराया जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि गोबर के गमले में पौधों को अपने आप खाद मिलती रहती है। इनमें लगे लगे पौधे दूसरे पौधों से हटकर और खिले हुए रहते हैं।

आय का जरिया
गौउत्पाद को ज्यादा से ज्यादा फैलान और किसानों के आय के स्त्रोत को दो गुना करने के उद्देश्य से इस दिशा में प्रयास किए जा रहे है। विवि द्वारा बनाए गए गोबर गमले की ब्रांडिंग की भी योजना तैयार की जा रही है। हाल ही में उद्योगपति कैलाश गुप्ता ने विश्वविद्यालय का भ्रमण किया था। इस दौरान गोबार से निर्मित उत्पादों की जानकारी ली थी। गोबर गमले को उनके द्वारा बेहद सराहा गया। हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया था। वहीं महापौर स्वाती गोडबोले ने भी इस कार्य की प्रशंसा कर कुलपति को पूरा सहयोग का आश्वासन दिया था।

ये था हानिकारक
पौधा रोपण के दौरान बड़ी संख्या में पॉलीथीन का उपयोग किया जाता है, जो कि जमीन में वर्षों तक पड़ी रहती है। इससे मृदा को भी नुकसान पहुंचता है तो वहीं पशुओं द्वारा पौधों को खाने के कारण पालीथीन भी बाहर आकर उनके पेट में चली जाती है। इससे मूक प्राणियों का जीवन संकट में पड़ जाता है। गोबर के गमलों में प्लांटेशन से मृदा का संरक्षण और पशुओं का भी बचाव हो सकेगा।

सौ से ज्यादा किसान जुड़े
वेटरनरी यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. पीडी जुयाल के अनुसार गोबर गमले के अधिक से अधिक उपयोग के लिए विवि किसानों के बीच ले जाने के प्रयास में जुट गया है। अभी तक हम करीब एक सैकडा से अधिक किसानों को जोड़ चुके हैं। हम गांव तक इसे ले जाने के प्रयास कर रहे हैंं।

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