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हड़ताल-हड़ताल-हड़ताल

locationजबलपुरPublished: Oct 11, 2019 09:16:25 pm

Submitted by:

shyam bihari

वकील गुस्से में, फरियादी परेशान

Advocate

वकील

जबलपुर। पूरे मप्र सहित जबलपुर की भी अदालतें शुक्रवार को सूनी थीं। वकीलों की कुर्सियां खाली थीं। अदालत के गलियारों में नजर आने वाले इक्का-दुक्का फरियादी हैरान-परेशान इधर-उधर नजर दौड़ाते घूम रहे थे। तमाम फरियादी गुस्से में भनभना भी रहे थे। उनका कहना था कि जब देखो हड़ताल रहती है। पचास किमी दूर से यहां तक आए। लेकिन, कोई काम नहीं हुआ। वे आपस में एक दूसरे से सवाल कर रहे थे कि आखिर हड़ताल इतनी ज्यादा क्यों होती है? एक ने कहा इस बार तो वकील बहुत गुस्से में हैं। होना भी चाहिए। क्योंकि, बदमाशों ने एक अधिवक्ता की हत्या कर दी। लेकिन, पुलिस कड़ी कार्रवाई नहीं कर रही है। इससे बाकी वकील गुस्से में हैं। फरियादियों को गुस्सा इस बात पर भी था कि आखिर सरकार वकीलों की बात मानती क्यों नहीं? जानकारों का भी यही कहना है कि यदि एडवोकेट प्रोटेक्शन की मांग सरकार को जायज लग रही है, तो उसे लागू किया जाए। यदि कोई समस्या है, तो मिल-बैठकर हल निकाला जाए। आए दिन हड़ताल से वकील-फरियादी दोनों का नुकसान होता है। वकीलों का भी यही कहना है कि उनकी मांगों पर विचार करना है, तो किया जाए। कोई समस्या है, तो उसे बताया जाए। आखिर हड़ताल से नुकसान तो वकीलों का भी होता है।
यह है मामला
मंदसौर में अधिवक्ता युवराज सिंह की गोली मार कर की गई हत्या के विरोध में प्रदेश भर के वकील गुस्से में हैं। उन्होंने अपने स्तर पर शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया। वकीलों की गैरमौजूदगी के चलते जिला अदालत के गलियारों में सन्नाटा था। पक्षकार स्वयं अदालत के समक्ष हाजिर हुए। मुकदमों की तारीख भी ली। जबलपुर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व सचिव ने का कहना था कि इसके पहले जब भी एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर को ज्ञापन देने गया, तो उन्होंने किसी अधिनस्थ को बाहर भेज दिया। इसके जवाब में एसोसिएशन ने इस बार कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने के लिए एसोसिएशन के कर्मचारी के हाथों ज्ञापन भिजवाया गया। अधिवक्ताओं ने इस बात पर गुस्सा जाहिर किया कि आखिर कलेक्टर उनकी मांगों को गम्भीरता से क्यों नहीं लेते? हालांकि, सूत्रों का कहना है कि कलेक्टर एक प्रक्रिया के तहत ही अपने कर्मचारी को ज्ञापन लेने भेजते हैं। वहां के कर्मचारियों का कहना है कि ज्ञापन कोई भी ले, कार्रवाई तो आखिर में कलेक्टर को ही करनी है।

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