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वकीलों ने अब बिना अनुमति हड़ताल की तो पड़ेगा महंगा

locationजबलपुरPublished: Feb 08, 2019 01:23:53 am

Submitted by:

mukesh gour

हाईकोर्ट ने नियमों में किया संशोधन, गजट नोटिफिकेशन से हुआ लागू

Advocates Protest

Advocates Protest

जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट व जिला अदालतों में वकालत करने वाले अधिवक्ता अब बिना इजाजत हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे। इसके लिए संबंधित अधिवक्ता संघ को पहले हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या संबंधित जिला एवं सत्र न्यायाधीश से अनुमति लेनी होगी। मप्र हाईकोर्ट ने इसके लिए अपने नियमों (मप्र हाईकोर्ट कंडीशन ऑफ प्रैक्टिस रूल्स 2012) में संशोधन किया है। इस संशोधन में अधिवक्ता संघों के पदाधिकारियों को बिना अनुमति हड़ताल बुलाने पर कोर्ट में पैरवी तक नहीं करने देने की व्यवस्था है।
यह हुआ संशोधन
मप्र हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट कंडीशन ऑफ प्रैक्टिस रूल्स 2012 में एडवोकेट्स एक्ट 1961 की धारा 34 (1) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह संशोधन किया है। रूल्स 2012 में एक अतिरिक्त नियम 16 ए जोड़ा गया है। संशोधन के बाद हाईकोर्ट ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इसके बाद से ही संशोधन लागू कर दिया गया है।
ये हैं प्रावधान
मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या संबंधित जिला एवं सत्र न्यायाधीश की पूर्व अनुमति के बिना अधिवक्ता संघ या स्टेट बार काउंसिल वकीलों की हड़ताल या कार्य से विरत रहने का आह्वान नहीं कर सकेंगे। अगर ऐसा होता है तो अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों को मामले के अनुसार कोर्ट के समक्ष पैरवी से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
बिना समुचित अनुमति लिए वकीलों की हड़ताल या कार्य से विरत रहने का आह्वान करने वाले अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी प्रदेश भर में किसी भी कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहने से एक माह के लिए प्रतिबंधित किए जाएंगे।
पिछली हड़ताल के एक साल के अंदर हड़ताल का आह्वान करने पर संबंधित अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी प्रदेश भर में किसी भी कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहने से दो माह के लिए प्रतिबंधित किए जाएंगे।
किसी पदाधिकारी के कार्यकाल के दौरान इससे आगे भी हडताल या कार्य से विरत रहने का आह्वान किए जाने पर संबंधित अधिवक्ताा संघ के पदाधिकारी प्रदेश भर में किसी भी कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहने से आह्वान की तारीख से तीन माह के लिए प्रतिबंधित किए जाएंगे।
यह है संशोधन का आधार
9-10 अप्रैल 2018 को प्रदेश भर के वकीलों की हड़ताल के खिलाफ जबलपुर के वकील प्रवीण पांडे ने याचिका दायर की थी। इस पर 30 जुलाई 2018 को मप्र हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता की डिवीजन बेंच ने फैसला दिया। कोर्ट ने बिना अनुमति के इस तरह की गई हड़ताल को अवैध ठहरा दिया। कोर्ट ने फैसले में स्टेट बार काउंसिल, राज्य सरकार व अदालतों के लिए भी दिशानिर्देश जारी किए।
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