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शरद पूर्णिमा : श्री हरि और देवी लक्ष्मी की उपासना से होगी सुख-समृद्धि की बारिश

locationजबलपुरPublished: Oct 13, 2019 08:42:50 pm

Submitted by:

abhishek dixit

देर रात खीर-पेड़े के भोग प्रसाद वितरित

Sharad Purnima

Sharad Purnima

जबलपुर. शरद पूर्णिमा पर रविवार को मंदिरों और घरों में पूजन हुआ। श्री हरि और देवी लक्ष्मी की उपासना के साथ लोगों ने सुख-समृद्धि की कामना की। शास्त्रों के अनुसार आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि पर शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। पर्व के कारण रविवार को सूर्योदय से पहले ही बड़ी संख्या में श्रृद्धालुओं ने नर्मदा नदी में स्नान किया। ग्वारीघाट, तिलवारा घाट सहित नर्मदा तट पर दान-पुण्य एवं अनुष्ठान करने वालों की संख्या लगातार बनी थी। भगवान को खीर-पेड़े का भोग लगाया। देर रात कई स्थानों पर आयुर्वेद औषधि युक्त खीर बांटी गई। कई जगह भंडारा हुए। प्रसाद वितरण किया गया।

ज्योतिर्विद जर्नादन शुक्ल के अनुसार सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होकर रातभर अपनी किरणों से अमृत की वर्षा करता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी रात्रि में विचरण करती हैं और भक्तों को धन-धान्य से पूर्ण करती हैं। इस तिथि पर रात भर जाग कर मां लक्ष्मी की आराधना करने वालों को धन और वैभव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन खीर एवं औषधि का वितरण फलदायी है। रात में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखा और उसे प्रसाद के रुप में वितरित किया जाता है।

मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास शुरु किया था। शरद पूर्णिमा को भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की गई। रविवार से शुरु हो रहे कार्तिक मास में महिलाएं सखी के रुप में भगवान की उपासना करती हैं। व्रतधारी महिलाओं ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सामूहिक रुप से पूर्णिमा पर पूजन किया। चन्द्रमा को अघ्र्य दिया। सुख और समृद्धि की मनोकामना की। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने 16 कलाओं के साथ रासलीला की थी। 16 कलाओं से युक्त मनुष्य ही सर्वोत्तम पुरुष माना जाता है।

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