ठंड के सीजन में छह बार तेंदुए को देखा गया है।ठंड के समय मादा तेंदुए बच्चों को जन्म देती हैं। इसके लिए उन्हें सुरक्षित जगह की तलाश होती है। जिससे वे अपने बच्चों को दूसरे जानवरों से बचा सकें। इस कारण भी तेंदुए एक स्थान से दूसरे स्थान पर मूवमेंट कर रहे हैं। कई बार सड़क किनारे मादा तेंदुआ अपने बच्चों के साथ नजर आई है। खमरिया क्षेत्र में मादा तेंदुआ ने दो शावकों को जन्म दिया है।
तेदुओं ने मूवमेंट के लिए नया कॉरीडोर बना लिया है। इसमें खमरिया, मंगेली, डुमना, बरगी क्षेत्र का उपयोग तेंदुए अपने आने-जाने के रूप में कर रहे हैं। इसके साथ ही तिघरा, छिवला, चूल्हागोलाई क्षेत्र में भी तेंदुओं को देखा गया है। इसकी एक वजह इन क्षेत्रों में कुत्तों और जंगली सुअरों की बड़ी संख्या है। ये इलाके शहर से भी लगे हुए हैं।
केस-एक
अक्टूबर के अंत में डुमना के पास तेंदुआ लोगों को नजर आया। सुबह के वक्त एयरपोर्ट जाने वाले कर्मियों को बंजारी माता मंदिर के आगे तेंदुआ नजर आया था। इसके बाद तेंदुआ छलांग लगाकर झाड़ियों के बीच ओझल हो गया।
केस-दो
नवंबर में डुमना स्थित एक निजी डेंटल कॉलेज के पास तेंदुए को देखा गया। देर शाम कुत्तों का शिकार करने के लिए तेंदुआ सड़क तक पहुंच गया था। रात में गश्त कर रहे कर्मियों ने भी तेंदुए को देखा।
तेंदुओं की गणना नहीं, सुरक्षा में लापरवाही
शहर में तेंदुओं की गणना नहीं हो सकी है। वन विभाग ने करीब 25 से 30 तेंदुए होने का अनुमान लगाया है। लेकिन उनकी सुरक्षा को लेेकर को गंभीरता से प्रयास नहीं किए गए हैं। तेंदुओं पर नजर रखने और उनके हेबीटेट को जानने के लिए ट्रैप कैमरे लगाने की योजना भी बनाई गई है।
केस- तीन खमरिया क्षेत्र में 24 नवंबर को लोगों को रात में तेंदुआ नजर आया। मादा तेंदुआ अपने छोटे बच्चे के साथ था। इसकी जानकारी सुरक्षा कर्मियों ने वन विभाग को दी थी।