यह है मामला
लखीमपुर खीरी, उप्र निवासी डॉ नेहा गुप्ता व कोटा राजस्थान निवासी डॉ अदिति शर्मा ने याचिका दायर कर कहा कि दोनों ने इंदौर के एमजीएम कॉलेज से जनरल सर्जरी विषय में पीजी क ोर्स किया। इसके लिए सरकार ने याचिकाकर्ताओं से बांड भरवाया था कि उन्हें एक साल अनिवार्य रूप से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देनी होंगी। साथ ही उनके मूल शैक्षणिक दस्तावेज भी कॉलेज में जमा कर लिए गए। जून 2019 में दोनों ने विभिन्न मेडिकल कॉलेजों प्लास्टिक सर्जरी में सुपर स्पेशियालिटी कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। इसके बाद उन्होंने एमजीएम कॉलेज के डीन को आवेदन देकर आगे की पढ़ाई के लिए अपने मूल दस्तावेज वापस मांगे। लेकिन डीन ने यह कहते हुए दस्तावेज देने से इंकार कर दिया कि याचिकाकर्ताओं को ग्रामीण क्षेत्र में सेवा करना अनिवार्य है।
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दूसरे अनावेदकों के जवाब की नकल करने पर हाईकोर्ट ने की निंदा
यह तर्क दिया
अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता सुपर स्पेशियालिटी कोर्स करने के बाद ग्रामीण क्षेत्र में सेवाएं देने को तैयार हैं। इसके बावजूद दस्तावेज न मिलने से उनका आगे अध्ययन रुक जाएगा। अनुचित है। तर्क से सहमत होकर कोर्ट ने निर्देश दिए कि वे याचिकाकर्ताओं से इस संबंध में अंडरटेङ्क्षकग लेकर इस उनके मूल दस्तावेज उन्हें प्रदान करें। कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब भी किया।
लखीमपुर खीरी, उप्र निवासी डॉ नेहा गुप्ता व कोटा राजस्थान निवासी डॉ अदिति शर्मा ने याचिका दायर कर कहा कि दोनों ने इंदौर के एमजीएम कॉलेज से जनरल सर्जरी विषय में पीजी क ोर्स किया। इसके लिए सरकार ने याचिकाकर्ताओं से बांड भरवाया था कि उन्हें एक साल अनिवार्य रूप से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देनी होंगी। साथ ही उनके मूल शैक्षणिक दस्तावेज भी कॉलेज में जमा कर लिए गए। जून 2019 में दोनों ने विभिन्न मेडिकल कॉलेजों प्लास्टिक सर्जरी में सुपर स्पेशियालिटी कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। इसके बाद उन्होंने एमजीएम कॉलेज के डीन को आवेदन देकर आगे की पढ़ाई के लिए अपने मूल दस्तावेज वापस मांगे। लेकिन डीन ने यह कहते हुए दस्तावेज देने से इंकार कर दिया कि याचिकाकर्ताओं को ग्रामीण क्षेत्र में सेवा करना अनिवार्य है।
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यह तर्क दिया
अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता सुपर स्पेशियालिटी कोर्स करने के बाद ग्रामीण क्षेत्र में सेवाएं देने को तैयार हैं। इसके बावजूद दस्तावेज न मिलने से उनका आगे अध्ययन रुक जाएगा। अनुचित है। तर्क से सहमत होकर कोर्ट ने निर्देश दिए कि वे याचिकाकर्ताओं से इस संबंध में अंडरटेङ्क्षकग लेकर इस उनके मूल दस्तावेज उन्हें प्रदान करें। कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब भी किया।