सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के परिप्रेक्ष्य में मप्र हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका दायर की है। 22 सितम्बर 2017 को कोर्ट ने याचिका में बनाए गए पक्षकारों राज्य सरकार के मुख्य सचिव, गृह विभाग प्रमुख सचिव, जेल विभाग प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग प्रमुख सचिव से जवाब-तलब किया था। कोर्ट ने 2012 से 2015 के दौरान प्रदेश की जेल में निरुद्ध बंदियों की अप्राकृतिक मौतों की घटनाओं के सम्बंध में की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा था। यह पेश किए जाने के बाद कोर्ट ने 2016 से 2017 मेंं अभी तक प्रदेश की जेलों में इस तरह हुई मौतों का ब्योरा भी मांग लिया गया।
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मंगलवार को राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता भूपेश तिवारी ने रिपोर्ट पेश कर प्रदेश की सभी जेलों से इस सम्बंध में प्रस्तुत ब्योरा प्रस्तुत किया। कोर्ट मित्र अधिवक्ता सौरभ भूषण के उपलब्ध न होने की दशा में अधिवक्ता विक्रम सिंह को यह जिम्मा सौंपकर बेंच ने उनसे मामले के सम्बंध में अपने सुझाव पेश करने को कहा। राज्य सरकार को भी स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया ।