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लॉकडाउन ने बदल दी दिनचर्या, खेत-खलिहानों में बीत रहा समय

locationजबलपुरPublished: Apr 23, 2020 09:25:14 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर जिले में कोरोना के संकट के दौर में किसान बने एक-दूसरे का सहारा

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जबलपुर। लॉकडाउन ने जबलपुर जिले के भी अन्नदाता की दिनचर्या बदल दी है। इसका सबसे अधिक असर दो से पांच एकड़ में बोवनी करने वाले किसानों पर पड़ा है। पैसों की कमी के कारण कई किसान फसल की गहाई नहीं करा पा रहे हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं जो किराए का इंतजाम नहीं होने से खलिहान में रखा गेहूं खरीदी केंद्रों तक नहीं ले जा पा रहे हैं। इसलिए फसल और उपज की देखभाल के लिए उनके दिन और रात खेत-खलिहानों में बीत रहे हैं। इसमें वे एक-दूसरे की मदद भी करते हैं। प्रस्तुत है सरदा, भाटादोन और बरेली गांव की रिपोर्ट।

खलिहान में रहकर कर रहे फसल की रखवाली
गांव : सरदा
आबादी : 2200
पंचायत : सरदा
तहसील : सिहोरा
जिला : जबलपुर

किसान दिलीप पटेल के पास तीन एकड़ जमीन है, जिसमें उन्होंने गेहूं की बोवनी की है। हार्वेस्टर नहीं मिला तो उन्होंने मजदूर लगाकर कटाई करना पड़ा। इसमें तीन हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्च आया। थ्रेशर नहीं मिलने से गेहूं की गहाई नहीं हो पा रही है। इसलिए वे परिवार के साथ खलिहान में रखी फसल की रखवाली कर रहे हैं। एक अन्य किसान राहुल ठाकुर ने बताया कि हार्वेस्टर नहीं मिलने से उन्होंने भी मजदूरों से फसल कटवाई। अब गहाई नहीं हो पा रही है। किसान नीलू चौधरी ने भी डेढ़ एकड़ में गेहूं बोया था। उन्होंने खुद ही फसल की कटाई की। अब गहाई के लिए थ्रेशर का इंतजार है।

उड़द की बोवनी में खर्च कर दी सारी जमा पूंजी

गांव : भाटादोन
आबादी : 1200
पंचायत : भाटादोन
तहसील : सिहोरा
जिला : जबलपुर

तेजी लाल पटेल ने ढाई एकड़ जमीन में गेहूं की बोवनी की है। उन्होंने बताया कि फसल की कटाई परिवार के लोगों ने मिलकर की है। अब उपज को खरीदी केंद्र हरगढ़ ले जाने के लिए ट्रैक्टर का किराया नहीं हैं। इसलिए उन्हें खलिहान में ही रहकर उपज की रखवाली करना पड़ता है। तेजीलाल ने बताया कि लॉकडाउन से पहले जो जमा पूंजी थी, उसे एक एकड़ में उड़द की बोवनी में लगा दिया। अब ट्रैक्टर के किरए का इंतजाम नहीं हो पा रहा है। बूढ़ी मां और बच्चों के साथ सभी खेत में रह रहे हैं।

दिन में उपज की रखवाली, रात में सिंचाई

गांव : बरेली
आबादी : 600
पंचायत : बरेली
तहसील : सिहोरा
जिला : जबलपुर
बरेली के किसान बीड़ीलाल पटेल और विवेक पांडे का कहना है, लॉकडाउन के कारण बाहर जाना बंद हो गया है। ऐसे में अधिकतर समय खलिहान में बीतता है। दिन में उपज की रखवाली करते हैं और रात में उड़द की फसल की सिंचाई करते हैं। उन्होंने बताया कि अभी भी उपज को बोरियों में भरकर खेत में ही रखा है। उनके खेत के पास ही एक अन्य किसान किसान संजय कोल का भी खेत है। तीनों एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं। जब एक किसान घर जाता है तो दो लोग खेत की रखवाली करते हैं। सिंचाई के लिए थ्री फेज बिजली रात में ही मिलती है, इसलिए किसान रात में ही सिंचाई करते हैं।

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