जबलपुरPublished: Apr 19, 2019 07:27:01 pm
shyam bihari
जबलपुर शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में चोरी, लूट, बलात्कार, हत्या की वारदातें बढ़ीं
police
जबलपुर। लोकसभा चुनाव और अपराध का कोई सीधा कनेक्शन तो नहीं होता। होने का कोई लॉजिक भी नहीं है। जिला और पुलिस प्रशासन को अधिक शक्तियां जरूर मिल जाती हैं। इससे उम्मीद की जाती है कि अपराध कम होंगे। क्योंकि, अपराधियों को भी डर रहता है कि पुलिस-प्रशासन किसी दबाव में नहीं आएगा। लेकिन, जबलपुर में तो सबकुछ उलटा नजर आ रहा है। यहां चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद से अपराध तेजी से बढ़े हैं। चोरी, लूट, मर्डर और बलात्कार की वारदातें सिलसिलेवार ढंग से सामाने आ रही हैं। पुलिस सड़क पर दिख रही है। हेलमेट के लिए कार्रवाई हो रही है। सुरक्षाबलों का फ्लैग मार्च हो रहा है। वाहनों की डिग्गियां चैक की जा रही हैं। उनमें क्या मिल रहा है, इसका जवाब तो पुलिस के पास है। लेकिन, इससे अपराधियों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। चरगवां के पास बादल नाम के बच्चे का अपहरण कर जिस अंदाज में हत्या की गई, उससे तो रूह कांप गई। हत्या का मुख्य आरोपी उसकाताऊ निकला। हत्या भी उसने फिरौती वसूलने के लिए की। उधर, तीन साल, 10 साल की बच्चियों, किशोरियों के साथ बलात्कार की वारदातें सामने आ रही हैं। कई मामलों में तो पुलिस खुलासा भी नहीं कर पर रही है।
हेलमेट की कार्रवाई से नहीं चलेगा काम
पुलिस संगीन अपराधों पर रोक नहीं लगा पा रही है। संगीन मामलों का खुलासा कोसों दूर है। लेकिन, कार्रवाई का डंडा टूटता है हेलमेट नहीं लगाने वालों पर। बाइक चालकों पर पुलिस की टीम ऐसे टूट पड़ती है, मानो आतंकी को पकडऩे जा रही है। इसी तरह आबकारी टीम शराब जब्ती की कार्रवाई दुश्मन देश के खिलाफ जंग के अंदाज में करती है। अवैध रूप से शराब बेचना अपराध है। ऐसा करने वालों पर कार्रवाई भी होनी चाहिए। लेकिन, यह भी सोचना होगा कि इस काम में कितना बड़ा अमला लगाना है? कार्रवाई को किस अंदाज में अंजाम देना है? यह तो तय करना चाहिए। जिस समय चुनाव आयोग की सख्ती का असर है, उस समय भी अपराधों की बाढ़ आए, तो लोग हेलमेट और दो-चार पाउच शराब की जब्ती और उसकी सीना तानकर फोटो खिंचवाने पर सवाल उठाएंगे ही। पुलिस को अपराध नियंत्रण के लिए अपनी सीमाएं पता हैं। इसलिए उन्हें अपनी जिम्मेदारयिां भी तय करनी चाहिए।