जबलपुरPublished: Apr 06, 2019 08:26:30 pm
shyam bihari
जबलपुर में पुलिसिया कार्रवाई से बदला है माहौल
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जबलपुर। लोकसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आने के साथ ही पुलिस और जिला प्रशासन की कार्रवाई में तेजी आई है। आरोप कैसे भी लगें, लेकिन कार्रवाई का असर यह है कि जबलपुर शहर का माहौल बदला-बदला सा नजर आने लगा है। नकदी के साथ दो-चार लोगों को पकड़े जाने के बाद सभी दलों के नेताजी का हाव-भाव चौकन्ना हो गया है। खासकर कैश लेकर चलने की हिम्मत किसी भी नेता की नहीं पड़ रही है। हंसी-मजाक में नेताओं का कहना रहता है कि पहले जेब में पैसे नहीं होते थे, तो आने-जाने में डर लगता था। लेकिन, अब ज्यादा पैसे रखकर चलने में डर लगता है। पता नहीं कहां जांच हो जाए और पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ जाए। इसलिए नेताजी अपनी जेब खाली ही रखते हैं। चुनाव आयोग की सख्ती का असर पुलिस और जिला प्रशासन पर भी साफ दिख रहा है। उन्हें अब हाथ खोलकर कानूनी डंडा चलाने की छूट मिल गई है। मौका देखकर चौका मारने की पूरी फिराक में रहते हैं साहब और उनके सहकर्मी।
दीवारें नहीं रंगीं
चुनाव आयोग की सख्ती का ही असर है कि दोनों बड़े दलों की तरफ से जबलपुर शहर में इस बार अभी तक दीवारों पर चुनाव का रंग नहीं चढ़ा है। इसके पहले तो दीवारों पर नारे लिखने की होड़ सी मची रहती थी। झंडे-बैनर पर भी चुनाव आयोग की संहिता असर दिखा रही है। अब बेहद खास नेता और उनके समर्थक का नाम ही बैनरों में दिखता है। इस बार तो अभी वह भी नहीं दिख रहा है।
धार्मिक आयोजनों में मौजूदगी
धार्मिक आयोजनों की बहार के बीच सभी दलों के नेता अपनी मौजूदगी दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। यहां तक कि एक ही कार्यक्रम में कई दलों के नेता एक साथ भी पहुंच जा रहे हैं। आयोजनकर्ता भर किसी को निराश नहीं करते। वे समानभाव से सबकी आवभगत करते हैं। एक बात है कि छुटभैये नेता जरूर राजनीतिक दुश्मनी का भाव पाले हुए हैं। उनका कहना होता है कि भइया को चुनाव लडऩा है। उनकी तो मजबूरी है कि सबसे मिलें-जुलें। लेकिन, जिनका रोज का आमना-सामना होना है, उनके मन की टसल जाग ही जाती है। वे यही कोशिश करते हैं कि बात उतनी ही बढ़ाओ, जिससे काम चल जाए।