जबलपुर में इवीएम, वीवीपैट के परिवहन पर सैटेलाइट से नजर
जबलपुर•Apr 18, 2019 / 08:36 pm•
shyam bihari
EVM and VVPAT will be promoted
जबलपुर। लोकसभा चुनाव में जबलपुर सीट वीआइपी है, इसका असर चुनाव आयोग की स्थानीय टीम की कार्यशैली में भी नजर आ रहा है। इवीएम और वीवीपेट मशीनों की सुरक्षा इतनी सख्त रखी जा रही है, मानो पूरी सरकार इसी सीट से बननी-बिगडऩी है। इवीएम और वीवीपैट के परिवहन के लिए वाहनों को जीपीएस से लैस किया जा रहा है। ऐसे करीब 700 वाहन हैं, जिन्हें जीपीएस से लैस किया जाएगा। निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि इवीएम और वीवीपेट के दुरुपयोग की आशंका को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। प्रदेश के प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में जिन भी वाहनों में इवीएम होगी, उनमें जीपीएस लगाया जाएगा। माना जाता है कि विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश के सागर में मतदान दल के सदस्य इवीएम को अपने साथ होटल में ले गया था। यह रिजर्व इवीएम थीं। लेकिन, इस पर काफी विवाद हुआ था। इसलिए अब प्रत्येक इवीएम वाले वाहनों की लोकेशन जानने के लिए जीपीएस लगाया जा रहा है। जीपीएस डिवाइस सीधे सेटेलाइट से जुड़ी हेाती है। अभी भोपाल से मॉनिटरिंग की जा रही है। जल्द ही जबलपुर में इसका कंट्रोल रूम बनाया जाएगा। 24 अप्रैल को कर्मचारियों को इसकी टे्रनिंग दी जाएगी। इस यंत्र के माध्यम से वाहन की स्थिति का पता लगाया जा सकेगा। इससे यह जानकारी मिल सकेगी कि इवीएम को लेकर वाहन कहां से कहां पहुंंचा? बीच में कितनी देर एवं कहा रुका?
फिलहाल शिकायत नहीं
विधानसभा चुनाव के दौरान तो इवीएम को लेकर माहौल ही कुछ और था। विपक्षी दलों से आचार संहिता लागू होते ही इवीएम को लेकर चर्चा शुरू कर दी थी। माहौल ऐसा बन गया था कि प्रचार के अलावा सिर्फ इवीएम की चर्चा होती थी। शायद उस बार के विवादों का असर है कि लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग किसी तरह का मौका किसी को नहीं देना चाह रहा। उसकी तरफ से वे सभी प्रक्रियाएं की जा रही हैं, जिनके आधार पर आरोप-प्रत्यारोप लग सकते हैं। बदलाव यह भी है कि अभी तक किसी भी दल की ओर से इवीएम सम्बंधी शिकायतें नहीं आ रही हैं। इससे चुनाव आयोग के अफसर भी राहत की सांस ले रहे हैं।
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