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रिश्वत से ‘लाल’ हो गए लिपिक के ‘हाथ’

locationजबलपुरPublished: Apr 05, 2019 07:46:06 pm

Submitted by:

santosh singh

लोकायुक्त की कार्रवाई : कुंडम तहसीलदार का लिपिक चार हजार रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार, जमीन सीमांकन के लिए मांगी थी घूस

लोकायुक्त ने लिपिक को चार हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया

लोकायुक्त ने लिपिक को चार हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया

जबलपुर. लोकायुक्त टीम ने शुक्रवार को कुंडम तहसीलदार के लिपिक को जमीन के सीमांकन के लिए चार हजार रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर जमानत दे दी गई। यह कार्रवाई शताब्दीपुरम विजय नगर निवासी अतुल ज्योतिकी की शिकायत पर की गई।
14 मार्च को कुंडम तहसीलदार को दिया था आवेदन
लोकायुक्त एसपी अनिल विश्वकर्मा ने बताया, अतुल ज्योतिकी मूलत: बरेला थाना अंतर्गत करवा गांव के हैं। वहां उनकी 0.47 हेक्टेयर पैतृक जमीन है। इसका सीमांकन कराने के लिए उन्होंने 14 मार्च 2019 को कुंडम तसीलदार के यहां आवेदन लगाया था। सीमांकन आदेश जारी कराने के लिए लिपिक दिलीप कुलस्ते ने उनसे चार हजार रुपए मांगे। 18 मार्च को अतुल ने लोकायुक्त कार्यालय में इसकी शिकायत की।
कुंडम कार्यालय में दबोचा गया
लोकायुक्त एसपी के निर्देश पर डीएसपी जेपी वर्मा, निरीक्षक कमल सिंह उइके, ऑस्कर किंडो, आरक्षक अतुल श्रीवास्तव, जुबैद खान, राकेश विश्वकर्मा की टीम शुक्रवार को अतुल के साथ कुंडम तहसील कार्यालय पहुंची। लिपिक दिलीप ने शाम सवा चार बजे अतुल को चार हजार रुपए लेकर बुलाया था। जैसे ही अतुल ने दिलीप को रुपए दिए, लोकायुक्त टीम ने उसे दबोच लिया। आरोपी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर रकम जब्त कर जमानत दे दी।
सीमांकन में दो पटवारी पर गिर चुकी है गाज
इसके पहले लोकायुक्त इसी तरह की कार्रावाई पनागर में कर चुकी है। तब सात वर्ष से सीमांकन अटकाने वाले दो पटवारियों को लोकायुक्त ने रिश्वत लेते दबोचा था। दोनों के खिलाफ विनोबा भावे वार्ड पनागर निवासी बेनी प्रसाद कुशवाहा ने शिकायत की थी। इसके बाद टीम ने हल्का नम्बर 19 के पटवारी देवेंद्र खरे को पांच हजार और टोटल स्टेशन मशीन (टीएसएम) के पनागर ऑपरेटर पटवारी प्रमेन्द्र सिन्द्राम को छह हजार की रिश्वत लेते हुए दबोचा था।
सीमांकन, नामांतरण और नामांकन के नाम पर होता है खेल
जिले में बड़ी संख्या में लोग सीमांकन, नामांतरण और नामांकन के नाम पर जम कर खेल होता है। पटवारी जहां सीमांकन के नाम पर रिश्वत मांगते हैं। वहीं तहसीलदार कार्यालयों में लिपिक नामांतरण व नामांकन की फाइल बिना रिश्वत के आगे नहीं बढ़ाते हैं। लगातार इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं। अभी कोर्ट ने पिछले दिनों महिला पटवारी को सजा भी सुनायी है।

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