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कोर्ट ने कहा- एक साल में इंजीनियर से नजदीकियां इतनी बढ़ गईं क्या

locationजबलपुरPublished: Mar 06, 2018 02:49:39 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

पहले शिकायत की फिर मुकर गए लेकिन जेल की हवा खाने से नहीं बचा पाए

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जबलपुर। एक इंजीनियर के खिलाफ पहले शिकायत हुई। जांच हुई तो शिकायत सही निकली। फिर मामला न्यायालय तक पहुंचा। लेकिन जब आरोप तय होने की पारी बायी तो शिकायतकर्ता पलट गया। इस पर हैरान कोर्ट ने कहा कि हो सकता है कोर्ट के बाहर इंजीनियर से नजदीकियां बढ़ गईं हो और शिकायतकर्ता पर इसका खासा असर भी हुआ हो। मामला लोकायुक्त पुलिस द्वारा 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए पीडब्ल्यूडी के एई विवेक पालवे के प्रकरण से जुड़ा है। जिस पर सोमवार को लोकायुक्त ने सुनवाई की। न्यायालय ने शिकायतकर्ता की गवाही खारिज करते हुए इंजीनियर को कारावास सहित अर्थदंड की सजा सुनवाई।

अर्थदंड के साथ 4 साल की जेल
लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश अक्षय कुमार द्विवेदी ने प्रकरण में स्वतंत्र गवाहों के बयान को तवज्जो देते हुए कार्यपालन यंत्री विवेक पालवे को भ्रष्टाचार के मामलें में दोषी माना। अदालत ने उसकी गवाही को खारिज करते हुए कहा कि शिकायत और बयान में एक साल का लंबा अंतराल है। इसलिए शिकायतकर्ता पर कुछ बाहरी असर हुआ हो। न्यायालय ने आरोपी को धारा 7, 13(1)(डी)13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में 4 वर्ष के कारावास और 52 हजार के अर्थ दण्ड की सजा सुनाई है।

वर्क ऑर्डर के एवज में मांगा कमीशन
राजेंद्र जैन नाम व्यक्ति ने 12 अक्टूबर, 2014 को जबलपुर लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दी कि पीडब्ल्यूडी द्वारा जुन्नारदेव न्यायालय भवन में उच्च दाब विद्युत लाइन कार्य के लिए निविदा जारी किया गया था। ये टेंडर उसे प्राप्त हुआ था। लेकिन वर्क ऑर्डर जारी करने के लिए इंजीनियर पालवे द्वारा 50 हजार रुपए कमीशन की मांग की जा रही थी।

घर पर रिश्वत लेते समय दबोचा
लोकायुक्त पुलिस ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए आरोपी इंजीनियर के कटंगा स्थित शासकीय आवास में छापेमारी की। उसे शिकायकर्ता से 50 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। इंजीनियर की रिश्वत के मामले में गिरफ्तारी के बाद दो स्वतंत्र गवाह के भी बयान दर्ज किए गए। इनकी गवाही पर अभियोजन आरोप सिद्ध करने में सफल रहा।
ऐसे खाई पलटी

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