माता सीता के कारण द्वापर युग में यह हुआ, सरयू में प्रवाहित की थीं 16 हजार सीता-मूर्तियां
जबलपुर। त्रेतायुग में माता सीता के लिए श्रीराम ने क्या-क्या कष्ट भोगे तो यह तो सभी जानते हैं। माता सीता का पत्नी प्रभाव श्रीराम के अन्य अवतारों पर असर डालता रहा है यह भी पौराणिक तथ्य है। श्रीराम ने त्रेतायुग में सीता को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। प्रभु राम और सीता के विवाह का बाद के युगों में क्या असर हुआ, इसका आनंद रामायण में उल्लेख किया गया है।
एक पत्नी व्रती थे श्रीराम
दरअसल श्रीराम ने एकपत्नी व्रत ले रखा था। उस युग में सभी राजाओं की कई रानियां होती थीं, राजाओं की अनेक पत्नियोंं को सामाजिक मान्यता प्राप्त थी। इतना ही नहीं यह काम शास्त्रोक्त भी था पर श्रीराम ने यहां भी मर्यादा का पालन किया। स्वयं श्रीराम के पिता राजा दशरथ की तीन रानियां थीं पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम आजन्म एकपत्नी व्रती रहे।
सरयू में प्रवाहित कीं सीता प्रतिमाएं
महर्षि वेदव्यास और भगवान राम की चर्चा का भी उल्लेख किया गया है। वेदव्यास के समक्ष श्रीराम ने अपने एकपत्नी व्रती होने का उल्लेख किया तो व्यासजी ने तुरंत कहा- इस कारण अगले अवतार में आपकी अनेक पत्नियां होंगी। वेदव्यास ने श्रीराम को सलाह दी तो उन्होंने माता सीता की 16 हजार स्वर्ण प्रतिमाएं बनवाकर सरयू में प्रवाहित कराईं। द्वापर युग में श्रीराम ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया तो उनकी 16 हजार पटरानियां बनीं। श्रीकृष्ण ने दैत्य नरकासुर की कैद से छुड़ाई गई सभी 16 हजार दासियों को पत्नी रूप में स्वीकार किया।