परीक्षण से दौर से गुजर रही है तोप
अपनी मारक क्षमता के मशहूर 155 एमएम 45 कैलीबार धनुष तोप 38 किमी तक दुश्मन पर निशाना साधने में सक्षम है। हालांकि कई परीक्षणों में इस तोप के परिणाम सेना के मापदंडों के अनुरूप रहे हैं। यही वजह है कि प्रोजेक्ट पर लगातार काम चल रहा है। आयुध निर्माणी बोर्ड के चेयरमैन ने हाल में जबलपुर प्रवास के दौरान इस साल धनुष तोप को अधिकृत रूप से सेना के लिए लॉन्च करने की बात कही थी। जीसीएफ के अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में कुछ घटनाएं हुईं हैं, इसके कारणों की गहन जांच की गई ताकि इनकी पुनरावृत्ति न हो सके। इसलिए थोड़ी विलंब हुआ। लेकिन अब पुन: ट्रायल किया जा रहा है। हमें 18 तोप का इंडेंट भी मिल चुका है ।
वर्कशॉप में खुलती है पूरी तोप
धनुष तोप का 506 आर्मी बेस वर्कशॉप से गहरा नाता है। धनुष तोप बोफोर्स का अपग्रेड वर्जन है। सूत्रों ने बताया कि जब अपग्रेडेशन का काम शुरू हुआ तो सीओडी से बोफोर्स तोप ली गईं। उसे वर्कशॉप में विशेषज्ञ कर्मचारियों ने खोला। उसमें जो बदलाव हुए वह वर्कशॉप और जीसीएफ के कर्मचारियों ने मिलकर किया। उसमें क्या बदलाव किए गए। कौन सी ड्राइंग है, इसकी जानकारी यहां पदस्थ अधिकारियों को हो सकती है। इसलिए जब लेफ्टिनेंट कर्नल का मामला सामने आया तो शक की सुई इसी तोप से जुड़ी जानकारियों की तरफ घूमी है।
पहली बार आई थी बैरल में दरार
धनुष तोप के छह प्रोटोटाइप तैयार किए गए थे। शुरुआती दौर के परीक्षणों के बाद वर्ष 2013 में जब राजस्थान के पोकरण में तोप का परीक्षण चल रहा था, तभी इसकी बैरल में ब्लास्ट से दरार आई थी। इस घटना में किसी सैनिक को चोट नहीं आई थी, लेकिन कुछ समय के लिए फायरिंग रोक दी गई।
दो बार लगातार फटा मजल
मई और जून 2017 में भी पोकरण में घटनाएं हुईं। बैटरी फायर के लिए जब छह तोप यहां भेजी गईं तो इनका मजल फट गया। लगातार हुई घटनाओं ने फिर विवादों को जन्म दिया। ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड इस बात की जांच करता रहा कि गड़बड़ी तोप में है या गोला में। फिलहाल जांच रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया।
चीनी कलपुर्जों से बढ़ी मुसीबत
जुलाई 2017 में नया विवाद खड़ा हो गया। सीबीआई ने दिल्ली की फर्म सिद्ध सेल्स सिंडिकेट के खिलाफ मामला दर्ज किया। कंपनी पर आरोप था कि धनुष तोप में लगने वाली बेयरिंग को मेड इन जर्मनी बताकर सप्लाई कर दिया गया। जबकि यह चीनी थीं। इसकी लंबी जांच चली। जांच का खुलासा अब तक नहीं हुआ।
क्या सफल रहेंगे दोनों परीक्षण
मई और जून में मजल फटने की घटना के बाद लंबी जांच चली। इसकी मूल निर्माता गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) में तोप को खोला गया। हर कलपुर्जे को जांचा गया। यही नहीं इस तोप में लगने वाली बैरल और मजल को इसे बनाने वाली आयुध निर्माणी कानपुर भेजा गया। कानपुर में जांच चली। तकनीकी पहलुओं पर ध्यान दिया गया कि आखिर यह गड़बड़ी क्यों आई। वर्तमान में इस तोप का ओडिशा के चांदीपुर रेंज में इंटरनल ट्रायल चल रहा है। जनवरी के शुरुआत में छह दर्जन से ज्यादा राउंड की फायरिंग की गई। इस चरण की फायरिंग के परिणाम ठीक रहे। अब दूसरे चरण की फायरिंग भी शुुरू हो गई है। सेना को ट्रायल के लिए देने से पहले जीसीएफ खुद इसका परीक्षण करवा रही है।