जबलपुर

MP Teachers vacancy: यूपी, बिहार के बाद शिक्षकों की कमी में तीसरे स्थान पर मध्यप्रदेश

– शिक्षक के साथ विद्यालय व पढ़ाई की भी छुट्टी- प्रदेश में शिक्षकों के 36 प्रतिशत पद खाली- हजारों स्कूलों में महज एक शिक्षक

जबलपुरOct 04, 2022 / 02:42 pm

Rajendra Gaharwar

cartoon


जबलपुर। कक्षा पांचवीं तक के सिलपुरा प्राथमिक पाठशाला में 40 छात्रों ने दाखिला लिया है, इसी तरह जबलपुर जिले के ही महगवां शाला 45 और माध्यमिक शाला परासिया में 72 बच्चे पढऩे आते हैं। लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए एक मात्र शिक्षक हैं। बीमार पड़े या किसी कारणवश अवकाश लिया तो विद्यालय में ताला लगना तय है। सरकारी काम से संकुल गए तब भी बच्चों की छुट्टी हो जाती है। परासिया, सिलपुरा और महगवां जैसे प्रदेश में हजारों एकल शिक्षक वाले विद्यालय संचालित हो रहे हैं। यह स्थिति शिक्षकों के पद खाली रहने और पदस्थापना में असमानता के कारण बनी है। बिहार और उत्तरप्रदेश के बाद शिक्षकों के खाली पदों के मामले में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है। जहां 36 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं।
शाला त्यागी बच्चों के मामले में मध्यप्रदेश पहले ही चिंताजनक स्थिति में है। हायर सेकंडरी तक पहुंचते-पहुंचते 23 प्रतिशत बच्चे स्कूल छोड़कर गायब हो रहे हैं। वहीं, प्रवेश में भी प्रदेश पिछड़ गया है। समग्र आइडी के आकलन के अनुसार लाखों बच्चे स्कूल पहुंचे ही नहीं। ऐसे में शिक्षकों की कमी ने पढ़ाई की गुणवत्ता को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है। इस मामले में प्रदेश बिहार और उत्तरप्रदेश की कतार पर खड़ा कर दिया है। बिहार में शिक्षकों के 66 और उत्तरप्रदेश में 38 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं, मध्यप्रदेश में यह औसत 36 का है। जो देश में तीसरा स्थान है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 99 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले डेढ़ करोड़ से अधिक बच्चों के अध्यापन के लिए महज 6 लाख शिक्षक हैं।
शहरी बनाम ग्रामीण
शिक्षकों की पदस्थापना शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में बहुत ही खराब स्थिति में है। शहरों में शिक्षा के लिए कई तरह के विकल्प मौजूद होने के बाद भी कम छात्र होने पर भी सरकारी स्कूलों में अधिक शिक्षक पदस्थ हैं। राजनीतिक दखल और पहुंच के चलते शहरी क्षेत्र पहुंचे शिक्षक गांवों में आने को तैयार नहीं होते और हर साल युक्ति युक्तिकरण के ड्रामे के बाद भी समान वितरण नहीं हो पाया। सबसे अधिक प्राथमिक शालाएं ग्रामीण इलाकों में है और दाखिले भी अधिक होते हैं, लेकिन हजारों विद्यालय ऐसे हैं जहां एकमात्र शिक्षक पदस्थ हैं।

पीटीआर में खेल
शिक्षा का अधिकार अधिनियम में प्राथमिक के लिए पीपुल टीचर रेशियो प्राथमिक के लिए 30 और उच्च प्राथमिक के लिए 35 बच्चों पर एक शिक्षक तय है। सरकारी दावों में प्राथमिक पर 26 और उच्च प्राथमिक कक्षाओं में 17 छात्रों पर एक शिक्षक की तैनाती है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि यह आंकड़े शिक्षकों की तैनाती के आधार पर तैयार नहीं किए गए हैं, बल्कि शिक्षकों की संख्या के मान से सरकारी दावा पीटीआर को पूरा बताने के लिए खेल किया जा रहा है। ऐसा ही हाल निजी स्कूलों का भी जिनका पीटीआर प्रति शिक्षक 24 है।
फैक्ट फाइल
99152 सरकारी स्कूल प्रदेश में
31515 निजी स्कूल
16242368 विद्यार्थी सरकारी स्कूल में
7094440 विद्यार्थी निजी स्कूल में
608411 शिक्षक सरकारी स्कूल
291841 शिक्षक निजी स्कूल
(आंकड़े – शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट 2020-21)

Hindi News / Jabalpur / MP Teachers vacancy: यूपी, बिहार के बाद शिक्षकों की कमी में तीसरे स्थान पर मध्यप्रदेश

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.