राज्य वन अनुसंधान संस्थान के वन्य प्राणी शाखा के वैज्ञानिक के मॉनिटरिंग में मप्र में बाघ गणना की गई और डेटा एनालिसिस हो रहा है। सभी राज्यों के बाघों के साक्ष्य के अनुसार नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया एवं वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के द्वारा बाघ गणना की रिपोर्ट जारी की जाएगी। वर्ष 2014 की बाघ गणना में मप्र तीसरे स्थान पर था। इस बार 4600 ट्रैम कैमरा और कर्मचारियों के माध्यम से बाघ गणना की गई है।
READ ALSO : MP सरकार का बड़ा ऐलान, महीने में सिर्फ 100 रुपये देना होगा बिजली का बिल वन्य प्राणी शाखा प्रभारी डॉ. अंजना राजपूत और डॉ. अनिरूद्ध मजूमदार की मॉनिटरिंग में बाघ गणना की गई है। वर्ष 2014 में राज्य में 717 बीटों में बाघों के मौजूदगी के साक्ष्य मिले थे, जबकि इस बार 1432 बीट में साक्ष्य जुटाए गए हैं। कान्हा नेशनल पार्क में वर्ष 2014 में 11 रेंज में 155 बीट में बाघ थे। इस बार 13 रेंज के 188 बीट में बाघों की दस्तक पाई गई। इसी प्रकार जबलपुर वन सर्किल में 28 से बढ़कर 62 बीटों में साक्ष्य मिले।
प्रदेश में बाघों की संख्या
वर्ष- बाघ
2006- 300
2010- 257
2014- 308 बाघ गणना के डेटा की एनालिसिस की जा रही है। इस बार ज्यादा बीटों में बाघों के मौजूदगी के साक्ष्य मिले हैं। एनटीसीए औरडब्ल्यूआइआइ के रिपोर्ट जारी करने के बाद ही आंकड़ें सामने आएंगे।
ओपी तिवारी, अपर संचालक, राज्य वन अनुसंधान संस्थान
वर्ष- बाघ
2006- 300
2010- 257
2014- 308 बाघ गणना के डेटा की एनालिसिस की जा रही है। इस बार ज्यादा बीटों में बाघों के मौजूदगी के साक्ष्य मिले हैं। एनटीसीए औरडब्ल्यूआइआइ के रिपोर्ट जारी करने के बाद ही आंकड़ें सामने आएंगे।
ओपी तिवारी, अपर संचालक, राज्य वन अनुसंधान संस्थान
पिछली बार की बाघ गणना के अनुसार इस बार दोगुनी बीट में बाघों के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। यह बाघों के कुनबा में वद्धि का संकेत है।
रजनीश सिंह, प्रभारी पीआरओ, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ
रजनीश सिंह, प्रभारी पीआरओ, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ