scriptमहाशिवरात्रि पर सालों बाद बन रहा ये विशेष योग, भक्त हो जाएंगे धन्य | maha shivratri 2019 shubh muhurat tithi or puja vidhi | Patrika News

महाशिवरात्रि पर सालों बाद बन रहा ये विशेष योग, भक्त हो जाएंगे धन्य

locationजबलपुरPublished: Feb 25, 2019 03:43:57 pm

Submitted by:

Lalit kostha

महाशिवरात्रि पर सालों बाद बन रहा ये विशेष योग, भक्त हो जाएंगे धन्य

maha shivratri 2019 shubh muhurat tithi or puja vidhi

maha shivratri 2019 shubh muhurat tithi or puja vidhi

जबलपुर। देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती के मिलन की रात, वैवाहिक बंधन में बंधने का शुभ समय जिसे जनमानष महाशिवरात्रि के नाम से जानता है। इस बार 4 मार्च को आने वाली है। इस महाशिवरात्रि पर कई सालों बाद ऐसा योग बन रहा है कि यह तिथि शिव प्रिय दिवस यानि सोमवार को पड़ रही है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन पूजन करने वाले भक्त धन्य हो जाएंगे। मालामाल होने के साथ ही उनके दाम्पत्य जीवन पर भी अच्छा असर पडऩे वाला है।

वैसे तो हर सप्ताह सोमवार का दिन भगवान शिव की आराधना का दिन माना जाता है। हर महीने में मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन साल में शिवरात्रि का मुख्य पर्व जिसे व्यापक रुप से देश भर में मनाया जाता है दो बार आता है। एक फाल्गुन के महीने में तो दूसरा श्रावण मास में। फाल्गुन के महीने की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इसे फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालु कावड़ के जरिये गंगाजल भी लेकर आते हैं जिससे भगवान शिव को स्नान करवाया जाता हैं।


महाशिवरात्रि 2019, 4 मार्च को

निशिथ काल पूजा- 12:07 से 12:57

पारण का समय- 06:46 से 03:26 (5 मार्च)

चतुर्दशी तिथि आरंभ- 04:28 (4 मार्च)

चतुर्दशी तिथि समाप्त- 9:07 (5 मार्च)

महाशिवरात्रि व्रत का शास्त्र नियम
महाशिवरात्रि व्रत कब मनाया जाए, इसके लिए शास्त्रों के अनुसार नियम तय किए गए हैं –

– चतुर्दशी पहले ही दिन निशीथव्यापिनी हो, तो उसी दिन महाशिवरात्रि मनाते हैं। रात्रि का आठवाँ मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है। सरल शब्दों में कहें तो जब चतुर्दशी तिथि शुरू हो और रात का आठवाँ मुहूर्त चतुर्दशी तिथि में ही पड़ रहा हो, तो उसी दिन शिवरात्रि मनानी चाहिए।

– चतुर्दशी दूसरे दिन निशीथकाल के पहले हिस्से को छुए और पहले दिन पूरे निशीथ को व्याप्त करे, तो पहले दिन ही महाशिवरात्रि का आयोजन किया जाता है।

– उपर्युक्त दो स्थितियों को छोड़कर बाक़ी हर स्थिति में व्रत अगले दिन ही किया जाता है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो