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myth- AC बंद होते ही जाग जाती हैं काली माता, निकलने लगता है पसीना – देखें वीडियो

locationजबलपुरPublished: Sep 28, 2017 10:30:41 am

Submitted by:

Lalit kostha

यह कोई किवदंती नहीं है बल्कि सत्यता है जो विज्ञान के लिए भी चुनौती बनी हुई है

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जबलपुर। नवरात्र में देवी आराधना का दौर जारी है हर भक्त अपने सामर्थ्य और विधान के अनुसार माता को प्रसन्न करने में जुटा हुआ है। वहीं लोगों की आस्था का सैलाब संस्कारधानी जबलपुर की सड़कों पर भी देर रात से सुबह तक देखा जा रहा है। जबलपुर की सिद्ध पीठ बात की जाए तो यहां कलचुरी कालीन से वर्तमान तक दर्जनों देवी दरबार हैं जहां हजारों की संख्या में पूरे साल लोग अपनी मुरादे लेकर पहुंचते हैं। हम ऐसे ही देवी दरबार से आपको रूबरू कराते हैं जिन्हें जीवंत या कहें प्रत्यक्ष रुप से देखा और सुना जा सकता है।

हम बात कर रहे हैं सदर स्थित गुण कालीन मां काली माता की। यह एसी वाली माता के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां माता काली को पसीना आता है। गर्भ ग्रह में बैठे होने के कारण मां पसीने से तरबतर हो जाती है। यह कोई किवदंती नहीं है बल्कि सत्यता है जो विज्ञान के लिए भी चुनौती बनी हुई है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भक्तों द्वारा यह माता के लिए विशेष AC लगाया गया है। जो पूरे साल चालू रहता है। ऐसी बंद होते ही माता बेचैन होने लगती हैं और जाग जाती हैं। उनके मुख्य मंडल से पसीना स्पष्ट देखा जा सकता है।

मंदिर के पुजारी के मुताबिक, लगभग 550 साल पुरानी काली माता की भव्य प्रतिमा गोंडवाना साम्राज्य के दौरान स्थापित की गई थी। मान्यता है कि स्वयंसिद्ध देवी की प्रतिमा को जरा-सी भी गर्मी सहन नहीं होती और मूर्ति से पसीना निकलने लगता हैैं। माता को गर्मी से राहत दिलाने के लिए भक्तों ने मंदिर में एयर कंडीशनर लगवा दिया है। पसीना निकलने के कारणों की अनेक बार खोज भी की गई है, लेकिन ये चमत्कार सभी के समझ से परे है।
टस से मस नहीं हुईं माता काली
जबलपुर के सदर इलाके में स्थित इस मंदिर के पुजारियों की मानें तो गौंड़ रानी दुर्गावती के शासनकाल में मां शारदा और काली की मूर्ति को मंडला से जबलपुर की मदनमहल पहाड़ी पर स्थापित करने के लिए लाया जा रहा था। उस दौरान रात होने की वजह से मूर्तियों को रास्ते में रख दिया गया। इसके बाद सुबह होते ही जब उनको ले जाने लगे तो शारदा देवी की प्रतिमा तो उठ गई, लेकिन काली माता की मूर्ति उस स्थान से टस से मस नहीं हुई। उसी समय से मां यहीं विराजमान हैं। इसी महिमा की वजह से करीब पांच सौ साल पुराना माता का ये मंदिर पूरे देश-प्रदेश में विख्यात है। शारदा देवी को मदनमहल की पहाड़ी पर स्थापित कर दिया गया।
पसीना बना रहस्य, लगवाय एसी
उसी समय से मां काली की स्थापना यहां हुई और आज कई सालों बाद भी मां की प्रतिमा जस की तस है। माता के माथे पर गर्मी के दिनों में बहुत पसीना आता है। जिसके बाद मंदिर प्रबंधन ने पहले पंखे और कूलर लगवाए, लेकिन इनसे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। जिसके बाद अब एसी लगवा दिए गए हैं। कई बार ये जानने की कोशिश भी की गई कि आखिर माता को पसीना कहां से आता है, पर कोई रहस्य नहीं जान सका। जब से गर्मियों के समय उनके लिए एसी की व्यवस्था की गई है, तब से माता के चहेरे पर पसीना आना बंद हो गया है।
सदर की मां काली की एसी वाली गाथा जो भी सुनता या पढ़ता है, वो उनके दरबार में जरूर दर्शन करने आता है। नवरात्र के समय मां काली के दर्शन लाभ लेने के लिए जबलपुर सहित कई जिलों के भक्त यहां आकर अपनी मनोकामना पूर्ण होने की उनसे अर्जी लगाते है। यहां जो भी अपनी मनोकामना लेकर एसी वाली माता के पास आता है, वो खाली हाथ नहीं जाता। यही वजह है कि माता के मंदिर में तड़के सुबह से ही भक्तों की भीड़ का सिलसिला देर रात तक रहता है।
रात को नहीं रुकता कोई
मंदिर प्रबंधन के अनुसार यहां माता की मौजूदगी पूरे समय बनी रहती है, इसलिए रात को मंदिर परिसर पूरी तरह से खाली करवा दिया जाता है। रात को कोई भी मंदिर में नहीं रुकता है। वहीं
मंदिर के सामने स्थित प्रसाद व पूजन सामग्री की दुकानें भी करीब दो सौ साल पुरानी हैं। इन दुकानों के संचालक बताते हैं कि विगत 5 पीढय़िों से वे यह कारोबार कर रहे हैं।
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