बाजार का निर्माण कांचघर रोड पर छुई खदान के नजदीक किया गया है। जानकार इस बाजार के लिए जगह के चयन पर सवाल उठाते रहे हैं लेकिन इसके पास ही कला निकेतन महाविद्यालय और रेलवे के अफसरों के लिए बंगले बने हुए हैं। इसी प्रकार आसपास विद्युत मंडल कार्यालय और कर्मचारी निवास भी हैं। ऐसे में बाजार बिल्कुल न चले, ऐसा संभव नहीं है। इसी प्रकार यह जगह रेलवे स्टेशन से महज दो से ढाई किमी की दूरी पर िस्थत है। फिर भी इसे बढ़ावा देने का प्रयास जिला पंचायत ने गंभीरता से नहीं किया है।
40 से अधिक हैं दुकानें
हाट बाजार में उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए ओपन एरिया के अलावा 40 से अधिक दुकानें हैं। इनमें भी ताला लगा हुआ है। कुछ समय पहले यहां एक-दो दुकानें चलती थीं। लेकिन वह भी बंद हो गई हैं। जो स्टाफ था, उसे भी हटा दिया गया है। ऐसे में अब यह जगह वीरान हो गई है। जबकि पूर्व में यहां पर कुछ कार्यक्रम होते रहे हैं, जिससे कि इसकी पहचान रही है। जिले में सैकड़ों की तादाद में महिला स्व-सहायता समूह भी काम कर रहे हैं। वे कई तरह के उत्पाद बनाते हैं। ऐसे में हाट बाजार का उपयोग इनके लिए किया जा सकता है।

फोटो यह है िस्थति
- एक दशक से बना हुआ है हाट बाजार।
- दो एकड़ के करीब है बाजार की जमीन।
- 40 से अधिक बनी हुई हैं पक्की दुकानें।
- ओपन थियेटर का भी हुआ है निर्माण।
- रेलवे स्टेशन से ढाई किमी की दूरी पर।
महाकोशल हाट बाजार में उत्पादों को प्रदर्शित करने का अच्छा मंच है लेकिन अभी इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है। ऐसे में इसे बंद रखा गया है।
मनोज सिंह, एडीशनल सीईओ जिला पंचायत