यात्रियों से खचाखच भर रही बसें
बस अड्डे पर यात्रियों से खचाखच बसें भरी जा रही हैं। आलम यह है कि कन्डेक्टर सीट से लेकर पीछे तक यात्री बैठ रहे हैं। इनमें तीन सीट पर तीन यात्री और दो सीट पर दो ही यात्री बैठ रहे हैं।
बस अड्डे पर यात्रियों से खचाखच बसें भरी जा रही हैं। आलम यह है कि कन्डेक्टर सीट से लेकर पीछे तक यात्री बैठ रहे हैं। इनमें तीन सीट पर तीन यात्री और दो सीट पर दो ही यात्री बैठ रहे हैं।
ये हुआ था तय : यात्रियों को उनके घर छोडऩे के लिए सोशल डिस्टेंस बनाते हुए तीन सवारी सीट में दो यात्री एवं दो सवारी सीट में एक यात्री बैठेगा। यात्री बिठाने के पूर्व बसे सेनेटाइज्ड होगी।
ये थी हकीकत
आईएसबीटी के मुख्यद्वार के समीप ही पचास सीटर बसें खड़ी थीं। ये बसें बरेला, कुंडम, मंडला, नैनपुर, निवास आदि की ओर यात्रियों को ले जाने वाली थीं। ये बसें एक दूसरे से सटकर खड़ी हुई थीं। बसों में सामान्य तरीके से यात्री बिठाए जा रहे थे। सोशल डिस्टेंसिंग ही नहीं थी। बसों के अंदर हालत यह थी कि तीन सवारी सीट पर एक ओर २४ लोग थे। दो सीट वाली पर १६ सवारी सहित कन्डेक्टर सीट पर तीन एवं पीछे की सीट पर चार सवारी बैठी थी।
आईएसबीटी की आंतरिक व्यवस्थाएं हम देख रहे हैं। यात्रियों को भोजन-पानी और सुरक्षा की हमारी जवाबदारी है। यात्री परिचालन संबंधी व्यवस्थाएं जिला प्रशासन देख रहा है।
सचिन विश्वकर्मा, सीईओ, जेसीटीएसएल
बस कम आ रही है। होता यह है कि बस स्टैंड पर बाहर से आने वाले यात्री रूकना नहीं चाहते हैं और वे बसों में सवार होकर घर पहुंचना चाहते हैं। हम बस बढ़ाने के लिए बातचीत करेंगे।
रश्मि चतुर्वेदी, तहसीलदार
ये थी हकीकत
आईएसबीटी के मुख्यद्वार के समीप ही पचास सीटर बसें खड़ी थीं। ये बसें बरेला, कुंडम, मंडला, नैनपुर, निवास आदि की ओर यात्रियों को ले जाने वाली थीं। ये बसें एक दूसरे से सटकर खड़ी हुई थीं। बसों में सामान्य तरीके से यात्री बिठाए जा रहे थे। सोशल डिस्टेंसिंग ही नहीं थी। बसों के अंदर हालत यह थी कि तीन सवारी सीट पर एक ओर २४ लोग थे। दो सीट वाली पर १६ सवारी सहित कन्डेक्टर सीट पर तीन एवं पीछे की सीट पर चार सवारी बैठी थी।
आईएसबीटी की आंतरिक व्यवस्थाएं हम देख रहे हैं। यात्रियों को भोजन-पानी और सुरक्षा की हमारी जवाबदारी है। यात्री परिचालन संबंधी व्यवस्थाएं जिला प्रशासन देख रहा है।
सचिन विश्वकर्मा, सीईओ, जेसीटीएसएल
बस कम आ रही है। होता यह है कि बस स्टैंड पर बाहर से आने वाले यात्री रूकना नहीं चाहते हैं और वे बसों में सवार होकर घर पहुंचना चाहते हैं। हम बस बढ़ाने के लिए बातचीत करेंगे।
रश्मि चतुर्वेदी, तहसीलदार