यहां तैयारियां शुरू
संस्कारधानी में फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी 21 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व आस्था और उत्साह पूर्वक मनाया जाएगा। इस बार तीन ग्रहों के विशेष के कारण महाशिवरात्रि की उपासना ज्यादा फलदायी होगी। प्रभावशाली शनि, शुक्र और गुरु ग्रह उच्च राशि में हैं। इस बार भगवान शिव के रुद्राभिषेक व पूजन से शनि ग्रह बाधा भी दूर हो सकती है।
ऐसे करें पूजा
ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला के अनुसार महाशिवरात्रि में कई वर्ष बाद तीन ग्रहों का ऐसा विशेष संयोग आया है। शनि ग्रह अपनी उच्च राशि मकर एवं शुक्र ग्रह भी अपनी उच्च राशि मीन में रहेंगे। जबकि, गुरु स्वराशि धनुराशि में हैं। सरसों के तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर शनि ग्रह की शांति होती है। इस बार महाशिवरात्रि की शिव आराधना से शनि ग्रह की शांति होगी। वहीं जिनकी कुंडली में शुक्र कमजोर हैं, ऐसे जातक दूध या दही से भगवान शिव का अभिषेक करेंगे तो शुक्र ग्रह कल्याणकारी होंगे। अलग-अलग प्रकार की मनोकामनाओं के लिए भगवान शिव के अभिषेक के विधान हैं। मिट्टी के बने पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक चाहिए।
हरिद्राभिषेक से आरोग्य लाभ
वर्ष भर में एक दिन महाशिवरात्रि को भगवान शिव का हरिद्राभिषेक का विधान है। इस दिन हल्दी से अभिषेक करने पर भगवान शिव की कृपा से आरोग्य लाभ प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि को भोर से ही रुद्राभिषेक एवं पूजन अर्चन प्रारंभ होता है। भक्तजन रात्रि जागरण कर साधना करते हैं।
धूमधाम से निकलेगी भोलेनाथ की बारात
भरतीपुर स्थित भगवान शिव पार्वती मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व पर शिव-पार्वती विवाह के रस्मों की तैयारियां शुरू हो गई हैं। महाशिवरात्रि की शाम संस्कारधानी की सडक़ों पर शिव बारात निकाली जाती है। इसमें भक्ति, संस्कृति और राष्ट्रीयता का संगम होगा। देवी देवताओं के साथ राष्ट्रीयता पर आधारित झांकियां प्रमुख आकर्षण का केंद्र होंगी। गुप्तेश्वर महादेव मंदिर, गैबीनाथ महादेव मंदिर, शिव मंदिर कचनार सिटी विजयनगर, कांच मंदिर जिलहरीघाट, पाटबाबा स्थित शिव मंदिर में काफी संख्या में श्रद्धालु पूजन अर्चन करते हैं।