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Makar Sankranti का पुण्यकाल सोमवार को, सूर्य को ऐसे दें अर्घ्य

locationजबलपुरPublished: Jan 14, 2018 07:39:47 am

Submitted by:

deepak deewan

ज्योतिर्विदों, पंडितों, विद्वानों के अनुसार इस बार मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को पड़ रहा है।

Makar Sankranti 2018

Makar Sankranti 2018

जबलपुर. मकर संक्रांति पर्व पर संस्कारधानी समेत दूर-दराज के श्रद्धालु रविवार को नर्मदा में पुण्य की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। तटों पर पर स्नान-दान व अनुष्ठान सुबह से ही शुरु हो चुके हैं। ज्योतिर्विदों के अनुसार मकर संक्रांति का विशेष पुण्यकाल सोमवार को होगा। दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं के जत्थे शनिवार रात से ही नर्मदा तट पर भजन-कीर्तन करने में जुट गए थे। सूर्यदेव की पहली किरण के साथ नर्मदा जल में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करने की प्रक्रिया शुरु हो गई। हालांकि ज्योतिर्विदों, पंडितों, विद्वानों के अनुसार इस बार मकर संक्रांति का पुण्यकाल १५ जनवरी को पड़ रहा है।

की व्यापक साफ-सफाई
मकर संक्रांति पर्व पर नगर निगम की टीम ने शनिवार को ग्वारीघाट में अतिक्रमण हटाकर सफाई की। तिलवाराघाट में मेले की तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं। भेड़ाघाट के सरस्वतीघाट, जिलहरी घाट, लम्हेटाघाट, खारीघाट में भी श्रद्धालुओं का तांता रहेंगा। हरे कृष्णा आश्रम भेड़ाघाट एवं ग्वारीघाट में चल रहे माघ कल्पवास में श्रद्धालु विशेष अनुष्ठान करेंगे।

सूर्य प्रधान पर्व है मकर संक्रांति
ज्योतिर्विदों के अनुसार जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण होते हैं, तब संक्रांति पर्व मनाया जाता है। रविवार रात ८.०७ बजे सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। यह पर्व सूर्य प्रधान है। सूर्य के रहते हुए स्नान-दान, अनुष्ठान का महत्व है। इस कारण सोमवार को मकर संक्रांति का पुण्यकाल रहेगा।

बढ़ेगी ग्रीष्म की प्रबलता
आचार्य डॉ. बालगोविंद शास्त्री के अनुसार सूर्यदेव ६ माह उत्तरायण और ६ महीने दक्षिणायन रहते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ग्रीष्म की प्रबलता बढऩे लगती है। सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार सूर्य के उत्तरायण होने के बाद यज्ञ, विवाह, उपनयन, तीर्थयात्रा, कर्ण भेद, मुंडन संस्कार शुरू होते हैं।

तिल का दान करें-
नगर पंडित सभा के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्य काल १५ जनवरी को दोपहर १२.२० बजे तक है। रविवार रात ८.२० बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। अध्यक्ष वासुदेव शास्त्री के अनुसार पुण्यकाल में तिल मिले जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिल मिश्रित जल पीने एवं तिल के खाद्य पदार्थ ग्रहण करना एवं तिल दान करना चाहिए। स्नान-दान से लम्बी आयु, धन, वैभव, यश, कीर्ति और सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।

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