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मकर संक्रांति पर 14 से 18 तक होंगे आयोजन
घर-घर तिल, गुड़, चावल के पकवान
नर्मदा तटों पर लगेंगे मेले, होंगे स्नान-दान और अनुष्ठान
दिखेगी विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति, अलग-अलग परम्परा से मनाएंगे पर्व
उत्तर: लोहड़ी
शहर में हरियाणा और पंजाब से सम्बंध रखने वाले कई परिवार हैं। ये 13 जनवरी को लोहड़ी मनाएंगे। घरों के आंगन और मैदान में आग जलाकर उसमें तिल, गुड़, चावल और मक्के के दाने अर्पित कर परिक्रमा करेंगे। पर्व का नवविवाहित और इस वर्ष हुए बच्चे के लिए खास महत्व है। रात में नंगाड़े बजेंगे और भांगड़ा, गिद्दा नृत्य होगा। उत्तर प्रदेश और बिहार से ताल्लुक रखने वाले परिवार नदी तट पर स्नान के बाद तिल दान करेंगे। घरों में खिचड़ी, दही-चूड़ा, तिल व मूंगफली की चिक्की खायी जाती है।
दक्षिण: पोंगल
शहर में रहने वाले मलयाली समाज के लोग 14 जनवरी को मकरविल्लुक पर्व मनाएंगे। मंदिर में सुबह हवन और अभिषेक होगा। पूजा स्थल की केले के पत्ते और फूलमालाओं से साज-सज्जा होगी। तमिल समाज के लोग पोंगल मनाएंगे। इस दिन घरों के सामने रांगोली सजाएंगे। पीले चावल का भोग लगाया जाएगा। केरला के लोग कटंगा स्थिल समाज के भवन में परम्परानुसार आयोजन करेंगे। नए चावल के पकवान बनाते हैं।
मध्य: स्नान-दान
शहर में मकर संक्रांति पर तिलवाराघाट पर परम्परागत मेला लगता है। ग्वारीघाट सहित नर्मदा तटों पर स्नान के लिए लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। ज्योर्तिविद जनार्दन शुक्ल के अनुसार मकर संक्रांति पर 14 जनवरी की मध्यरात्रि से 15 जनवरी दोपहर बाद तक विशेष पुण्यकाल है। इसलिए 15 जनवरी को ही पर्व का मुख्य आयोजन होगा। लोग स्नान, दान के बाद तिल, गुड़ से निर्मित लड्डू, चिक्की का भोग लगेगा। नर्मदा तटों पर जगह-जगह भंडारे होंगे।
पूर्व: तिलदान
शहर में बंगाली समाज के लोग बड़ी संख्या में रहते है। ये मकर संक्रांति पर स्नान के बाद तिल दान करते हैं। नारियल, चावल, दूध और गुड़ से खास पकवान तैयार किए जाते है।
पश्चिम: पतंग उत्सव
गुजराती समाज के लोग मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं। सिविक सेंटर स्थित गुजराती भवन में पतंग उत्सव मनाया जाएगा। तिल, गुड़, मूंगफली के साथ ही परम्परागत व्यंजन बनाते हैं। शहर में बड़ी संख्या में मराठी समाज के लोग रहते है। ये परिवार नई दुल्हन को हलवा के गहने पहनाया जाता है। बड़े छोटों को तिल से बनते व्यंजन खिलाते है। गुड़ की रोटी बनाई जाती है।