जबलपुरPublished: Jan 15, 2020 11:11:25 pm
shivmangal singh
पुण्य काल में लोगों ने किया नर्मदा में स्नान, परम्परा अनुसार 14 को भी तटों पर उमड़े श्रद्धालु
मकर संक्रांति: पहले नर्मदा में स्नान, फिर दान-अनुष्ठान
जबलपुर. मकर संक्रांति के मौके पर श्रद्धालुओंं ने नर्मदा तीर्थ में स्नान-दान एवं अनुष्ठान किया। सूर्योदय से पहले ही श्रद्धालुओं का दल नर्मदा तट पहुंचने लगा था। स्नान-दान के साथ श्रद्धालुओं ने तट पर भजन कीर्तन भी किए। सनातन पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल बुधवार को है। जबकि, पम्परागत तिथि 14 जनवरी मंगलवार और 15 जनवरी बुधवार को लोगों ने आस्था और भक्ति पूर्वक स्नान-दान किया। इस मौके पर लोगों ने स्वच्छता का ध्यान रखते हुए भंडारे के प्रसाद वितरित किए। ग्वारीघाट के सिद्धघाट से उमाघाट और दरोगाघाट तक श्रद्धा का सैलाब दिखाई दिया। मकर संक्रांति के मौके पर नर्मदा महाआरती में काफी संख्या में लोग शामिल हुए। वहीं ऋषियों की तपोस्थली तिलवाराघाट में शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र के लोग स्नान-दान करने पहुंचे। लोगों ने तिल के साथ स्नान किया और तिल के लड्डुओं का प्रसाद वितरित किया। इसी प्रकार सरस्वतीघाट और लम्हेटाघाट में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
ऋतु परिवर्तन और मांगलिक कार्य प्रारम्भ
ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला के अनुसार मंगलवार की रात 7.55 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस कारण मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को था। मकर संक्रांति में सूर्य उत्तरायण हो गए, 18 जनवरी से मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। जबकि, ऋतु परिवर्तन में हेमंत से शिशिर ऋतु का प्रारम्भ होगा। 30 जनवरी को बसंत ऋतु शुरू होने तक शिशिर ऋतु रहेगा। यह मौसम का संक्रमण काल है। धार्मिक के साथ ही तिल का वैज्ञानिक महत्व है। तिल के लड्डू खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पोषक तत्व मिलते हैं।
पृथ्वी पर ज्यादा देर पड़ेगी सूर्य की किरणें
साइंस कॉलेज के प्रो. आरके श्रीवास्तव के अनुसार सूर्य के उत्तरायण होने के बाद सूर्य की स्थिति बदल जाती है। पृथ्वी की गति बदलने के कारण पृथ्वी पर सूर्य की किरणें ज्यादा देर तक पडऩे लगती हैं और धीरे-धीरे दिन बड़ा होने लगता है। जब सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी पडऩे लगती हैं तो मौसम ज्यादा गर्म हो जाता है।
हरेकृष्ण आश्रम
हरेकृष्ण आश्रम भेड़ाघाट में मकर संक्राति के पर्व पर मंगलवार सुबह आठ बजे खिचड़ी का भोग भगवान राधा कृष्ण को अर्पित किया गया। खिचड़ी तैयार करने के लिए जगन्नाथपुरी से विशेष दो भक्त आए थे। इस खिचड़ी को प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया गया। इस अवसर पर शरद अग्रवाल, मुन्ना, लखन बजाजा, मनोज अग्रवाल, शिवशंकर पटेल, मदन गोस्वामी आदि थे।