-5 जिले विवि के अधीन
-156 कॉलेज तक सीमित
-52 शासकीय कॉलेज
-94 प्राइवेट कॉलेज
-14 अनुदानित कॉलेज
-75 हजार छात्र शेष बचे
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रादुविवि – जबलपुर, मंडला, कटनी, डिंडौरी, नरिसंहपुर
छिंदवाडा विवि – छिदंवाडा, सिवनी, बालाघाट, बैतूल
बीयू – भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा, होशंगाबाद, राजगढ़, हरदा
जबलपुर।
वीरांगना रानी दुर्गावती के नाम से संपूर्ण प्रदेश में अपनी पहचान बनाने वाले रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के आखिरकार प्रदेश सरकार ने टुकड़े कर दिए। मुख्यमंत्री द्वारा अपने गृह जिले छिंदवाड़ा को तवोज्जो देने के लिए रादुविवि के सीने पर चाकू चलाए गए। सतपड़ा यूनिवर्सिटी बनाने के लिए रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के तीन जिलों को शहीद कर दिया गया। विश्वविद्यालय से सिवनी, बालाघाट और छिंदवाड़ा जिले को तोडकऱ नई छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी में समाहित करने का फरमान जारी कर दिया गया। देर शाम मप्र विश्वविद्यालय संशोधन अध्यादेश 2019 को जारी कर दिया गया। राज्यपाल के नाम से अवर सचिव आरपी गुप्ता द्वारा विश्वविद्यालय के विखंडन की यह अधिसूचना जारी की गई। जिससे हर कोई शिक्षाविद, छात्र हैरान और परेशान रहा। सभी में नाराजगी थी कि जबलपुर के हितों के साथ लगातार कुठाराघात किया जा रहा है लेकिन जनप्रतिनिधि, जिम्मेदार बैठे तमाशा देख रहे हैं।अब जल्द ही विश्वविद्यालय की अन्य परिसंपत्तियों का भी बंटवारा कर दिया जाएगा।
सभी बड़े जिलों को तोड़ा
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के अधीन अब सिर्फ 5 जिले रह गए हैं। इनमें जबलपुर, मंडला, कटनी, डिंडौरी और नरसिंहपुर जिला शामिल है। विवि से जुड़े 3 जिलों छिंदवाड़ा, सिवनी और बालाघाट को तोड़ दिया गया है। यह सभी बड़े जिले होने के कारण विश्वविद्यालय के लिए बेहद महात्वपूर्ण थे। जो कि विश्वविद्यालय की आर्थिक आय का भी कारण बनता था।
घट जाएगा आय का स्त्रोत
रादुविवि के अंतर्गत अब 5 जिलों के तहत 156 कॉलेज आने के कारण आय के स्त्रोत को भी धक्का लगेगा। जिससे विश्वविद्यालय के संचालन में आर्थिक संकट खड़े होने की स्थिति निर्मित होगी। क्योंकि विश्वविद्यालय में पदस्थ प्राध्यापकों को अधिकांश वेतन का खर्च छात्रों से होने वाली आए से ही होता आ रहा था। विवि के टूटने से सीधे-सीधे 75 हजार छात्र कम हो गए हैं।
11 करोड़ की हर साल पहुंचेगी चोट
जानकारों के अनुसार सतपुड़ा यूनिवर्सिटी के अस्तित्व में आने के साथ विश्वविद्यालय के राजस्व में सबसे बड़ी चोट होगी क्योंकि इन तीनों जिलों से रादु विवि को सालाना करीब 11 करोड रूपए की आमदनी होती थी आमदनी छात्रों से लिए जाने वाली फीस कॉलेजों की संबद्धता शुल्क नवीनीकरण आदि से जुड़ी होती थी जो विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन एवं विकास के लिए खर्च की जाने वाली राशि में महत्वपूर्ण मददगार साबित होती थी
10 साल पहले कृषि विवि का हुआ विखंडन
वर्ष 2009 में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय का विखंडन किया गया उस दौरान कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत वेटरनरी महाविद्यालय आते थे। कृषि विश्वविद्यालय की जमीन परिसंपत्तियों भवन भी बांट दिए गए। भले ही वेटरनरी विश्वि विद्यालय की नींव रख दी गई हो लेकिन आज विश्वविद्यालय के सामने पैसों का संकट खड़ा है। हालात यह है कि विवि से रिटायर होने वाली कर्मचारियों की पेंशन पीएफ, जीपीएफ देने के लिए पैसा नहीं है।
जनप्रतिनिधियों का कहना
-मुख्यमंत्री का पूरा ध्यान छिंदवाड़ा पर है। चुनाव के दौरान भी यह बात सामनेआई थी। अब छिंदवाड़ा को नवाजने के लिए रादुविवि के विखंडन पर मोहर लगा दी। हमने मेडिकल यूनिवर्सिटी को शहर से बाहर जाने नहीं दिया। जबलपुर से उनकी कैबिनेट में जनप्रतिनिधित्व करने वालों की आवाज मुख्यमंत्री के सामने नहीं उठती है। यही वजह है शहर के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है।
-अजय विश्नोई, विधायक पाटन
-सभी जिलों में तरक्की होनी चाहिए। विखंडन से ज्यादा शिक्षण गुणवत्ता बढऩी चाहिए। पढ़ाई का स्तर कैसे सुधरे इस पर ध्यान दिया जाए। नए कोर्स, पाठयक्रमों को लाया जाए। सरकार ने तीन महाविद्यालय जिले में खोलने का निर्णय लिया है।
-तरुण भानोत, वित्त मंत्री, मप्र शासन
-कांग्रेस सरकार जब भी आई उसने विखंडन की नींव रखी। अभी विवि का विखंड हुआ है जल्द ही हाइकोर्ट की बारी आएगी। यह शहर के हितों के खिलाफ है। शहर की जनता को लेकर हम आंदोलन शुरू करेंगे।
-इंदू तिवारी, विधायक पनागर
-सबसे पुराने विश्वविद्यालय को तोडकऱ विवि का ओहदा कम किया गया है। शहर हितों के साथ लगातार कुठाराघात किया जा रहा है। इसका हम सख्त विरोध करेंगे।
-अशोक राहोणी, विधायक केंट
-शासन का निर्णय है इससे छात्रों को फायदा मिलेगा। यह जरूर है कि इससे विश्वविद्यालय को आर्थिक रूप से नुकसान होगा। इसके लिए हम संभावनाएं तलाशेंगे। छात्रों को जोडऩे के लिए शिक्षा के स्तर में सुधार पर बल दिया जाएगा।
-प्रो.कपिलदेव मिश्र, कुलपति रादुविवि
विश्वविद्यालय का विखंडन से अच्छा था छिंदवाड़ा में रादुविवि का बसेंटर बनाया जा सकता था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की बात है। विद्यार्थी परिषद इसका सख्त विरोध दर्ज करेगा।
-शुभांग गोटियां, महानगर मंत्री, एबीवीपी