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बारिश के साथ ही बढ़ा मलेरिया का खतरा, जांच का सिस्टम लडखड़़ाया

locationजबलपुरPublished: Jul 23, 2018 01:27:59 am

Submitted by:

abhishek dixit

परीक्षण करने में लापरवाही: दो टेक्नीशियन 160 की जगह जांच रहे दिनभर में 750 नमूने

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जबलपुर. मलेरिया से लड़ रहे जिले में इस बीमारी के परीक्षण की व्यवस्था लडख़ड़ा गई है। सरकार ने मलेरिया की रोकथाम के लिए पृथक जिला मलेरिया विभाग का गठन कर दिया है। लेकिन, विशेषज्ञ टेक्नीशियन के अभाव में विभाग की मलेरिया की पड़ताल करना मुश्किल हो गया है। 24 लाख से अधिक आबादी वाले जिले में मलेरिया की जांच के लिए विभाग की लैब में महज दो टेक्नीशियन हैं। इनके बूते रोजाना करीब 750 लोगों के खून के नमूने जांचे जा रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि एक टेक्नीशियन एक दिन में अधिकतम 80 स्लाइड जांच सकता है।

इसलिए गम्भीर मामला
सरकार ने हाल ही में जिले को मलेरिया एंडेमिक (मलेरिया के लिए स्थायी घर) घोषित किया है। करीब 15 साल बाद फिर से इस सूची में शामिल होने से जिला एक बार फिर मलेरिया की दृष्टि से संवेदनशील हो गया है। कुंडम ब्लॉक के कई गांवों में बीमारी की रोकथाम के लिए विभागीय स्तर पर कई उपाय भी किए जा रहे हैं। ऐसे में मलेरिया के बढ़ते प्रकोप के बीच विभाग में स्टाफ की कमी से स्लाइड का परीक्षण चुनौती बन गया है। हालात इतने खराब हैं कि स्लाइड की जांच कर मलेरिया का पता लगाने के लिए विभाग को सुपरवाइजर से जांच करानी पड़ रही है।

फेल्सीपेरम मलेरिया ने बढ़ाई चिंता
कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में मलेरिया पीडि़तों की संख्या बढ़ी है। सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ महीने में कुंडम ब्लॉक में कराई गई जांच में छह गांवों में ही सामान्य मलेरिया के 31 और फे ल्सीपेरम मलेरिया से पीडि़त 28 मरीज मिले। जिले में बीते महीने की जांच में मिले 10 सामान्य मलेरिया पीडि़तों में चार के फेल्सीपेरम मलेरियाका शिकार पाए जाने से चिंता और बढ़ गई है। ऐसे में विभाग में जांच के लिए कुशल कर्मियों की कमी से व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।

जानलेवा है मलेरिया का यह प्रकार
किसी व्यक्ति को शरीर में दर्द के साथ बहुत तेज ठंड और कंपकपी के साथ बुखार आता है। फिर 2-3 घंटे बाद तेज पसीना निकालकर बुखार उतर जाता है, तो वह मलेरिया का पीडि़त हो सकता है। चिकित्सकों के अनुसार मलेरिया करीब छह प्रकार का होता है। इसमें सबसे खतरनाक फे ल्सीपेरम मलेरिया होता है। इसके पीडि़त को तेज ठंड और बुखार आने के साथ ही असहनीय सिरदर्द होता है। बुखार बढऩे पर बेहोश हो जाता है। उपचार में देर होने पर मौत की आशंका रहती है। सेरीब्रल मलेरिया (दिमागी बुखार) भी जानलेवा होता है।

इसलिए उठ रहे सवाल
– 30 स्लाइड औसतन एक मलेरिया वर्कर प्रतिदिन लाता है। इस लिहाज से 24 वर्कर की स्लाइड का आंकड़ा प्रतिदिन औसतन 720 तक पहुंचता है।
– 80 स्लाइड अधिकतम प्रतिदिन एक टेक्नीशियन जांच कर सकता है। इस लिहाज से 3 टेक्नीशियन, 2 सुपरवाइजर मिलकर भी एक दिन में 400 स्लाइड ही जांच सकते हैं।
– 30 के करीब मरीजों के खून की स्लाइड प्रतिदिन जिला अस्पताल से भी जांच के लिए आती है। इसे मिलाकर प्रतिदिन जांच के लिए आने वाली स्लाइड की संख्या 750 हो जाती है।

ये हैं मानक
60 स्लाइड की जांच एक दिन में कर सकता है एक टेक्नीशियन
800 स्लाइड एक मलेरिया वर्कर को एक माह में बनाना रहता है
05 मिनट का समय कम से कम एक स्लाइड की जांच में लगता है
02 प्रतिशत से ज्यादा (कुल जांची गई स्लाइड का) पॉजिटिव तो नियंत्रण के उपाय

मौसम में बदलाव के साथ मलेरिया पीडि़तों की संख्या बढ़ती है। मलेरिया से सम्बंधित जांच के लिए कर्मियों की कमी का मामला संज्ञान में आया है। विभागीय अधिकारियों से चर्चा कर व्यवस्था सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाएंगे।
शरद जैन, स्वास्थ्य राज्य मंत्री

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