कोरोना के कारण कम संख्या में एनआरसी पहुंचे अति कुपोषित बच्चे
दो साल में 2273 अति कुपोषित बच्चे चिन्हित, सिर्फ 1436 पहुंचे एनआरसी
अति कुपोषित बच्चों को जिला व ब्लॉक स्तर पर संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा पहुंचाया जाता है। पिछले दो वर्ष के आंकड़े देखें तो अति कुपोषित बच्चे चिह्नित तो ज्यादा हुए, लेकिन पोषण पुनर्वास केंद्रों में कम संख्या में पहुंचे। विभाग द्वारा मौजूदा वित्तीय वर्ष में 2273 अति कुपोषित बच्चे चिह्नत किए गए। इनमें से मात्र 1476 बच्चे पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) पहुंचे।

महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग की ओर से अति कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में रखकर बेहतर इलाज का दावा किया जा रहा है। कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों की निगरानी की जा रही है और इसके बाद ये ठीक हुए हैं।
दो वर्षों के दौरान चिह्नित अति कुपोषण बच्चों की तुलना में पोषण पुनर्वास केंद्र बच्चों के कम पहुंचने का कारण कोरोना की पहली व दूसरी लहर को बताया जा रहा है। विभागीय जानकारी के अनुसार पहले जहां 2200 से 2500 बच्चे प्रति वर्ष पोषण पुनर्वास केंद्र पहुंचते थे। वर्ष 2020-21 व 2021-22 में फरवरी तक इनकी संख्या कम हो गई।
दोनों विभाग चिह्नित करते हैं
पोषण पुनर्वास केंद्र में आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कार्यकर्ताओं द्वारा चिह्नित अति कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए भेजा जाता है। जिले में 9 पोषण पुनर्वास केंद्र हैं। एल्गिन हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेज व विक्टोरिया जिला अस्पताल में 20-20 बच्चों और ब्लॉक के केंद्रों में 10-10 बच्चों को रखा जाता है। 14 दिन के बैच में बच्चों को चिकित्सकीय परामर्श के साथ पौष्टिक आहार दिया जाता है। बच्चों की माताओं को भी पोषण आहार बनाने व बच्चों को खिलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। वजन, लम्बाई और उम्र के हिसाब से कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों को चिह्नित किया जाता है। एनआरसी से छुट्टी होने के बाद सभी का फॉलोअप भी किया जाता है।
आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों को चिह्नत किया जाता है। अति कुपोषित बच्चों को एनआरसी भेजा जाता है। माता-पिता की काउंसिलिंग भी की जाती है।
- मनीष सेठ, सहायक संचालक, महिला बाल विकास विभाग
जिले में स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम भी कुपोषित बच्चों की खोज करती है। इन बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाता है।
- डॉ. रत्नेश कुररिया, सीएमएचओ