बरही रेंज के कुआं बीट व आसपास क्षेत्र में डेढ़ माह से ज्यादा समय से बाघिन का अपने दो शावकों के साथ मूवमेंट है। बाघिन के हमले में आसपास निवास कर रहे तीन ग्रामीणों की जान जा चुकी है। १७ मार्च को बीट क्रमांक ४२१ में झल्ली बाई का शव मिला। कारण बाघिन के हमले से मौत। झल्ली बाई लकड़ी बीनने जंगल गई थी। ८ अप्रैल को बीट क्रमांक ४२२ में बेलाबाई का शव मिला, ग्रामीणों ने बताया बाघिन के हमले से गई जान। वह महुआ बीनने जंगल गई थी। ९ अप्रैल को करौंदी गांव निवासी शिवराम केवट का शव जंगल में मिला। दो दिन पहले महुआ बीनने निकले वृद्ध की मौत बाघिन के हमले से हो गई।
आदमखोर होना जांच का विषय
पूरे घटनाक्रम को लेकर वन विभाग के आला अधिकारी का कहना है कि बाघिन आदमखोर है या नहीं यह जांच का विषय है। किसी बाघिन को चर्चाओं के आधार पर आदमखोर घोषित नहीं किया जा सकता है। इसके बाद भी कटनी के कुआं, करौंदी गांव में अपने दो बच्चों को पाल रही बाघिन को लोगों ने आदमखोर घोषित कर दिया। ऐसी घटना चिंतनीय है। खासकर बाघ संरक्षण के मामले में।
8 से 10 दिन में होगी शिफ्टिंग
मध्यप्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जीतेंद्र अग्रवाल ने बताया कि सोमवार-मंगलवार की रात रेस्क्यू टीम ने प्रात: ४ बजे तक जंगल में भ्रमण कर स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद तय कर लिया गया है कि बाघिन की शिफ्टिंग होगी। इससे पहले उसे जहां भेजा जाना है वहां बाड़ा तैयार किया जाएगा। नौरादेही में बाड़ा तैयार करने में विलंब हुआ तो मध्यप्रदेश के दूसरे टाइगर रिजर्व में खाली बाड़ा देखेंगे। आठ से दस दिन में बाघिन की शिफ्टिंग होगी। तब तक ग्रामीणों को जंगल नहीं जाने की समझाइस दी जा रही है।
सुबह 4 बजे तक हुई सर्चिंग
सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात प्रारंभ हुआ बाघिन का सर्चिंग अभियान प्रात: चार बजे तक चला। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर मृदुल पाठक के नेतृत्व में चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बाघिन और शावकों के रुकने के स्थान सहित मूवमेंट का अध्ययन किया गया। इस दौरान बरही रेंजर वीएस चौहान, खितौली रेंजर आरके मरकाम सहित अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।
इन स्थानों पर दे रहे लालच
१. पटपरहा नाला कुआं बीट के बार्डर में बाघिन का मूवमेंट अमूमन बना रहता है। २. झरी नाला करौंदी बीट का स्थान जहां से कुछ दूरी पर बाघिन ने महिलाओं का शिकार किया था। ३. झिरिया में जलस्रोत में समीप, डेढ़ माह के दौरान यहां कई बार बाघिन दिखी है।
शावकों के लिए कर रही शिकार
कुआं-करौंदी क्षेत्र में दो शावकों के साथ विचरण कर रही बाघिन की खासियत यह है कि शावकों के लिए भोजन का इंतजाम बाघिन माँ ही कर रही है। डेढ़ माह के दौरान वन विभाग के कर्मचारियों ने भी शावकों को शिकार करते नहीं देखा है। हर बार बाघिन ही शिकार करते दिखी है। ऐसे में वन विभाग शिफ्टिंग ऑपरेशन में शावकों को भी शामिल कर सकती है।
ये भी जानें-
बरही रेंज कुआं करौंदी में तीन लोगोंं की जान जाने पर तीनों के परिवारों को ४-४ लाख रुपये की राहत राशि दी गई है।
२०१० से अगस्त २०१७ के बीच १३ लोगों की जान वन्यप्राणियों के हमले से गई है। सर्वाधिक ६ मौतें २०१० में हुई थी।
४३१ मवेशियों का शिकार वन्यप्राणियों ने २०१० से अगस्त २०१७ के बीच किया। ये वह संख्या है जिसमें वन विभाग ने किसान को पशुहानि का मुआवजा दिया।
१८ लाख ७ सौ ७४ रुपये जनहानि और १८ लाख ५८ हजार २४३ रुपये पशुहानि पर मुआवजा राशि वन विभाग इन सात सालों के दौरान दे चुका है।
रेंजर से दो बार प्रत्यक्ष सामना
०१ अप्रैल की रात १ बजे नारंगी में शावकों के साथ बाघिन पानी पीने पहुंची।
०२ की दोपहर ३.३० बजे नारंगी क्षेत्र में ही बाघिन को रेंजर वीएस चौहान ने बेहद से करीब देखा।