मप्र हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि संतानोत्पत्ति कर पाने में अक्षमता विवाह निरस्त करने का अधार नहीं हो सकती। हिन्दू विवाह अधिनियम में संतोनोत्पत्ति नहीं बल्कि यौन क्षमता न होने को विवाह निरस्त करने का आधार माना गया है। जस्टिस अतुल श्रीधरन की सिंगल बेंच ने इस टिप्पणी के साथ एक वैवाहिक मामले को निराकृत कर दिया। कोर्ट ने पत्नी की जेनेटिक क्रोमोसोम संबंधी जांच की मांग पर विक्टोरिया हॉस्पिटल के डायरेक्टर को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया।
जबलपुर निवासी महिला की ओर से अधिवक्ता ब्रह्मानंद पांडे और डीपी राय ने कोर्ट को बताया कि महिला के पति ने उसके खिलाफ सिविल कोर्ट में विवाह निरस्त करने की याचिका दायर की। सिविल कोर्ट ने पति-पत्नी की पुंसत्व जांच के लिए मेडिकल बोर्ड विक्टोरिया हॉस्पिटल को निर्देश दिए, लेकिन वहां महिला चिकित्सक न होने के चलते पत्नी की जांच एल्गिन हॉस्पिटल में किए जाने की व्यवस्था दे दी गई। रिपोर्ट में पत्नी को संतानोत्पत्ति के योग्य बताया गया। पति ने एल्गिन अस्पताल की इस रिपोर्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। उसने सिर्फ संतानोत्पत्ति नहीं बल्कि जेनेटिक क्रोमोसोम की जांच की मांग की। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने डायरेक्टर विक्टोरिया हॉस्पिटल को मेडिकल बोर्ड गठित करते हुए उसमें एक महिला चिकित्सक की अनिवार्य रूप से व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।