सिहोरा निवासी प्राथमिक विद्यालय, पोंडीकला, जबलपुर में पदस्थ शिक्षिका प्रियंका तिवारी की ओर से अधिवक्ता अंजली बैनर्जी ने कोर्ट को बताया कि 2002 में याचिकाकर्ता का प्रथम विवाह हुआ था। इससे दो संतानें पैदा हुईं, जिनके प्रसव के समय नियमानुसार उसे प्रसव अवकाश का लाभ मिला था। 2018 में पहले पति से उसका तलाक हो गया और 2021 में दूसरी शादी हुई। याचिकाकर्ता पुन: गर्भवती है और तीसरी संतान को जन्म देने वाली है। इसलिए उसे प्रसव अवकाश की आवश्यकता है। इसके लिए उसने आवेदन किया। जिसे स्कूल शिक्षा विभाग ने निरस्त कर दिया। कहा गया कि सिविल सर्विस रूल के अनुसार शासकीय महिला कर्मी को सिर्फ दो बार प्रसव अवकाश मिल सकता है। दो संतानों से अधिक पैदा होने की सूरत में शासकीय सेवा से बर्खास्त करने जैसा सख्त नियम लागू है। अधिवक्ता अंजली बैनर्जी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता का मामला अलग है। उसकी तीसरी संतान पहले पति से नहीं बल्कि तलाक के बाद दूसरे पति से हो रही है। इसलिए उसे न केवल शासकीय सेवा में बने रहने बल्कि प्रसव अवकाश का लाभ पाने का भी अधिकार मिलना चाहिए।
कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि हम राज्य सरकार के जवाब की प्रतीक्षा किए बिना शासकीय महिला कर्मी को तीसरी बार प्रसव अवकाश दिए जाने का अंतरिम आदेश पारित कर रहे हैं। क्योंकि तथ्यों व हालात को देखते हुए प्रसव अवकाश की तात्कालिक आवश्यकता है। याचिकाकर्ता से आवश्यक औपचारिकताएं पूर्ण कराकर उसे नियमानुसार प्रसव अवकाश का लाभ प्रदान किया जाए।